शोध-अध्ययन आदर्श की पूर्व पीठिका है-प्रो. केके मिश्र

अम्बेडकरनगर। शोध-नैतिकता पर उपर्युक्त उद्गार व्यक्त करते हुए बाबा बरुआदास पीजी. कॉलेज, परुइय्या आश्रम में लोहिया अवध विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग के प्री-पीएचडी कोर्सवर्क सत्र 2023-2024 के शुभारंभ के अवसर पर, प्राचीन इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष और कोर्सवर्क समन्वयक प्रो. केके. मिश्र ने कहा। उन्होंने नवागत शोधार्थियों का स्वागत करते हुए महत्व पर प्रकाश डाला। मुख्य वक्ता, प्रो. राजेश कुमार सिंह, इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग, डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या ने शोध के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि शोध विधियों की व्यापक उपलब्धता शोधकर्ताओं को मात्रात्मक, गुणात्मक, मिश्रित आदि विभिन्न विकल्पों में से चुनने की सुविधा देती है। शोध के उद्देश्यों, समस्या और संसाधनों के अनुरूप सही विधि का चयन शोध की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को सुनिश्चित करता है, जो शोध की सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. परेश कुमार पाण्डेय ने शोधार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शोध कार्य का समाज और शोध जगत में योगदान महत्वपूर्ण होना चाहिए। उन्होंने महाविद्यालय में शोध को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. रमेश कुमार ने शोध प्रविधियों पर प्रकाश डालते हुए शोध में आने वाली चुनौतियों से निपटने के तरीके बताए। साथ ही मुख्य नियन्ता डॉ. कुलदीप सिंह ने भी शोधार्थियों को शुभकामनाएँ दी। उप प्राचार्य प्रो. पवन कुमार गुप्त ने शोधार्थियों को अपने शोध में नवीनता लाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने उद्घाटन सत्र में ही चलाए गये शासन के अभियान पढ़े महाविद्यालय बढ़े महा विद्यालय ,दहेज मुक्त भारत तथा नशा मुक्त भारत के तहत पुस्तक अध्ययन सत्र तथा दहेज प्रथा के उन्मूलन तथा नशा से मुक्ति से सम्बन्धित शपथ की सार्थकता एवं भविष्योंन्मुखी पारिणामों पर प्रकाश डाला कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. के.के. मिश्र ने शोध नैतिकता पर बल देते हुए कहा पूर्व शोध-अध्ययन(कोर्स वर्क) आदर्श शोध की पूर्व पीठिका है। शोध-कार्य में प्राथमिक स्रोतों की उपयोगिता द्वितीयक स्रोतों की तुलना में महत्वपूर्ण एवं ज्यादा प्रामाणिक होता है। उन्होंने शोधार्थियों को मौलिकता के महत्व को समझाते हुए पूर्वाग्रहों से बचने की सलाह दी। कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. सत्य प्रकाश पाण्डेय ने किया।