विधानसभा जलालपुर : अपने बिछाए जाल में फंसी भाजपा को करना पड़ा पराजय का सामना
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- विधानसभा जलालपुर : अपने बिछाए जाल में फंसी भाजपा को करना पड़ा पराजय का सामना
(रितेश्वर्य शर्मा )
जलालपुर,अंबेडकरनगर। अपने ही बिछाई जाल में भाजपा उलझ कर रह गई। मंदिर निर्माण, गरीबों का विकास के मुद्दे के बजाय संविधान और आरक्षण समाप्त और पुलिस द्वारा छापेमारी का मुद्दा हावी रहा नतीजतन इस बार भी लोकसभा चुनाव में भाजपा का कमल खिल नही पाया।पहली बार चुनाव में सपा की साइकिल खूब दौड़ी और रिकार्ड मतों से लालजी वर्मा को सांसद बना सदन पहुंचा दिया।
मोदी की गारंटी पर मतदाताओं ने विश्वास नहीं किया उन्होंने संविधान और आरक्षण बचाने समेत अन्य ज्वलंत मुद्दे को ध्यान में रखते हुए मतदान किया और एक नया समीकरण बना दिया।जलालपुर विधानसभा में प्रथम राउंड से ही सपा के लाल जी वर्मा बढ़त बनाए जो अंतिम राउंड तक जारी रहा।
- यह है पराजय की मुख्य वजह
भाजपा जलालपुर में कई मुख्य कारणों से चुनाव ही नहीं हारी अपितु उसका मत प्रतिशत भी पिछले लोकसभा से काफी कम रहा। मुस्लिम,यादव,वर्मा के बेस वोट के साथ चुनावी मैदान में उतरी सपा को दलितों का साथ मिला जो अंत में जीत का कारण बन गया। सपा के जीत में भाजपा के पदाधिकारियों का असहयोग भी हार का कारण बन गया।
- बसपा और भाजपा से टूट कर आए बने हीरो
चुनावी घोषणा में बसपा छोड़कर भाजपा में रितेश पाण्डेय के शामिल होते ही बसपा नेता डा राजेश सिंह और भाजपा के सुभाष राय ने अपने अपने दल से इस्तीफा देकर सपा में शामिल हो गए। दोनो नेताओ ने दिन रात प्रचार प्रसार किया और परिणाम बदलने में सहयोग किया।
- सपा नेता के घर छापेमारी से भाजपा का नुकसान
मतदान के दिन सपा नेता के करीबी लवकुश वर्मा के घर पुलिस द्वारा की गई छापेमारी और उसका वायरल वीडियो भाजपा के हार में अहम रोल निभाया। जिसका असर परिणाम में देखने को मिला।
- संविधान और आरक्षण खतरे में है
बाबा भीम राव अम्बेडकर को दलित वर्ग अपना भगवान मानता है।विपक्षी पार्टियों ने दलित वोट तोड़ने के लिए इसी संविधान और आरक्षण का सहारा लिया जो सफल रहा।सपा से दबंगई और गुंडई के डर से बसपा वोटर पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन का साथ वहां नही दिया था जहां सपा को टिकट दिया गया था।किंतु इस चुनाव में दलित मतदाता संविधान और आरक्षण को बचाने के लिए सपा के साइकिल से परहेज नहीं किया और लगभग 50 फीसद मतदान कर दिया।
- भाजपा का प्रचार प्रसार मतदाताओं तक सीमित रहा
रितेश पाण्डेय के बसपा छोड़ भाजपा से टिकट मिलते ही भाजपा के नेताओ में बेचैनी थी। लोकसभा विधानसभा चुनाव लडने की सोच रखने वाले बड़े नेता चुनावी रुख को जीत की तरफ मोड़ने के बजाय मीटिंग तक सिमट गए उन्होंने जमीनी स्तर पर प्रचार प्रसार नही किया। कारण उनको लगता था कि पाण्डेय परिवार पूरे संगठन पर कब्जा न कर ले लिहाजा इनका प्रचार प्रसार निम्न दर्जे का रहा।
भाजपा के प्रचार की टीम किसी भाजपा समर्थक के घर पहुंचती।दो चार मतदाताओं को पत्रक देकर फोटो खींचती और उसे ग्रुप में अपलोड कर देती। वही बैठकर नाश्ता पानी होता। ऐसा रहा भाजपाइयों का चुनाव प्रचार जो बड़ी हार का कारण बन गया।
- अधिकारियों व कर्मचारियों की मनमानी और भ्रष्ट्राचार पड़ा भारी
न्याय के लिए तहसील ब्लॉक और थाना पहुंच रहे फरियादियों को न्याय के बजाय दुदकार भी हार में सहायक बनी। अपनी समस्या लेकर अधिकारियों का चौखट नाप कर तथा भ्रष्ट्राचार से थक चुके फरियादी भी मजबूरन अपना वोट सपा को दे दिया। जनसुनवाई पोर्टल पर की गई शिकायतो पर फर्जी आख्या लगाकर किया गया निस्तारण भी फरियादियों को दूसरे दल को वोट देना बन गया मजबूरी।
- पूरे चुनाव में नही दिखे भाजपा एमएलसी
शौचालय तक के उद्घाटन में शामिल होने वाले एमएलसी पूर्व सांसद डा. हरिओम पाण्डेय इक्का दुक्का मौके को छोड़ चुनाव से गायब रहे। इस विधानसभा चुनाव में किसी बड़े नेता के प्रचार में नही उतरना भी नुकसान किया।
- जीत पर जताया मतदाताओं का आभार
पूर्व विधायक सुभाष राय, डा राजेश सिंह, पूर्व चेयरमैन अबुल बसर अंसारी,सिद्धार्थ मिश्र,आलोक यादव,विपिन यादव, केशव राम पटेल समेत अन्य सपा नेताओं ने मतदाताओं का आभार जताया।
- भाजपा नेताओं ने हार के विश्लेषण की कही बात
नगर अध्यक्ष समेत मंडल अध्यक्षों ने हार पर कोई प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया।सभी पदाधिकारियों ने कहा कि इसका विश्लेषण किया जाएगा।