विधानसभा कटेहरी भाजपा प्रत्याशी की जीत पर यह बोले चुनाव प्रभारी
अम्बेडकरगनर। संगठन शिल्पी कहे जाने वाले भारतीय जनता पार्टी गोरक्ष क्षेत्र के दो बार क्षेत्रीय अध्यक्ष रह चुके विधान परिषद सदस्य प्रदेश उपाध्यक्ष डॉं. धर्मेन्द्र सिंह ऐसा नाम है जिनका नाम आते ही पार्टीजनों में यह भाव आ जाता है कि जिस भी क्षेत्र में चुनाव प्रबंधन की कमान डॉ. साहब संभालेंगे वहाँ बीजेपी की जीत तय हैं जिसका ज्वलंत उदाहरण बीजेपी के लिए चुनावी दृष्टिकोण से बंजर कहलाने वाला जनपद अम्बेडकरनगर विधानसभा की पांचों सीटें गंवाने के बाद लोकसभा में बड़े अन्तर से चुनाव हार जाने के बाद भी जिले के कटेहरी विधानसभा उपचुनाव में 33 वर्षों बाद 33 हजार से ज्यादा मतों से पार्टी प्रत्याशी को विजय दिलाकर एक इतिहास रचा है।
उक्त मुद्दे पर हिन्दमोर्चा से विस्तृत बातचीत में कि आखिर कौन सी तकनीकि अपनाकर आपने कटेहरी विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को इतनी बड़ी विजय दिलायी, सवाल के मुख्य अंश-
सवाल-डॉ साहब आप संगठन के शिल्पी कहे जाते हैं आखिर आप कौन सी युक्ति अपनाते है जिससे विषम परिस्थितियों में भी आपका प्रत्याशी चुनाव जीत कर नया इतिहास रच देता है।
जवाब– देखिए मेरे हाथ में कोई जादुई छड़ी नहीं है कि मैं पार्टी को चुनाव जितवा देता हूँ लेकिन जहां भी पार्टी हमें चुनाव की जिम्मेदारी सौंपती है मैं वहां पार्टीजनों से नेता नहीं बल्कि परिवार का सदस्य बनकर काम को अंजाम देता हूँ जिससे छोटा सा छोटा कार्यकर्ता भी बिना किसी संकोच के मुझसे आकर मिलते हैं और किस कारण पार्टी को शिसक्त मिली है उस पर चर्चा करते हैं मैं सभी कार्यकर्ताओं की बात सुनने के बाद जनता के बीच भी पूर्व में आये परिणामों के निष्कर्स को जानने के लिए सम्पर्क स्थापित करके यह जानने का प्रयास करता हूं कि आखिर पार्टी से किस स्तर पर चूक हुई कि हमें हार का सामना करना पड़ा।
सवाल-डॉ साहब कटेहरी विधानसभा उपचुनाव का प्रभारी बनकर जब आप जिले में आये तो आपने कैसा अनुभव किया?
जवाब– मैं जब प्रभारी बनकर जिले में आया तो यहां के कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं के बीच जबरदस्त उत्साह को देखने के बाद मेरे मन में यह भाव आया कि आखिर जिस जनपद में इतने उर्जावान मजबूत और निष्ठावान कार्यकर्ता हैं वहां पार्टी कैसे चुनाव हार जाती है। यह सोचने पर मैं विवश हुआ और कार्यकर्ताओं पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मिलने के बाद मैं मण्डल-मण्डल शक्ति केन्द्र और बूथों पर बैठके करके कार्यकर्ताओं के अन्दर छिपी टीस को जगाने और उनके विचारों को सुनने के बाद मैं इस निष्कर्स पर पहुंच गया कि कटेहरी में भारतीय जनता पार्टी अपने तपस्वी कार्यकर्ताओं की मेहनत और यहां के महान जनता के हृदय में छिपे ममता के सहारे चुनाव आसानी से जीत सकती हैं।
सवाल-डॉ साहब आपकी पार्टी में कई लोग टिकट के दावेदार थे और यह सीट ब्राह्मण बाहुल्य बतायी जाती है फिर कैसे धर्मराज निषाद का नाम आ पड़ा?
जवाब– भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। इसलिए दावेदारों का होना स्वाभाविक है और राजनीति करने वाले प्रत्येक कार्यकर्ताओं को टिकट मांगने का हक भी है लेकिन भाजपा सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास को मूल मंत्र मानकर काम करती है। इसलिए जाति-पाति का कोई भेदभाव या मुद्दा हमारी पार्टी में नहीं है। रही बात ब्राह्मण बाहुल्य सीट की तो पार्टी ने 2012 में क्षत्रिय प्रत्याशी छोड़कर बाकी 1991 से लगातार ब्राह्मण प्रत्याशी उतार रही थी लेकिन 1991 को छोड़कर असफलता ही पार्टी के हाथ लगी। 2007 में विधानसभा का परिसीमन के बाद इस सीट की भौगोलिक स्थिति को समाजवादी पार्टी ने इस प्रकार से बना दिया कि उनके मतदाताओं की संख्या बढ़ गयी लेकिन इसके बावजूद भी 2014 में लोकसभा हम जीते थे-2017,2019-2022 के चुनावों में जबरदस्त प्यार दुलार यहां की जनता ने दिया था फिर भी हम सफल नहीं हो पाये इसीलिए हमने और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने यह मन बनाया था कि इस बार प्रत्याशी का चयन पार्टी नहीं जनता करेगी और जिस प्रत्याशी के नाम पर जनता की मुहर लगेगी उसी को पार्टी अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतार देगी। गांव-गांव से यह आवाज आयी अबकी बार धर्मराज, अबकी बार धर्मराज, फिर पार्टी ने भी धर्मराज पर मुहर लगाकर जनता के बीच उतारा और धर्मराज भाजपा के रथ पर सवार होकर तपस्वी कार्यकर्ताओं की मेहनत से भारी मतों से सपा प्रत्याशी को हरा कर पूंजीवाद और परिवारवाद को कटेहरी से उखाड़ने के लिए अंत्योदय के सिद्धान्त पर चुनाव लड़ा जिसका परिणाम आप सबके सामने है।
सवाल– आखिर आप प्रदेश के उपाध्यक्ष है फिर लोकसभा के चुनाव में क्यों नहीं यहां आकर पार्टी को जितवाने के लिए रणनीति बनायें ?
जवाब– लोकसभा के चुनाव में पार्टी नेतृत्व की तरफ से हमें जहां लगाया गया था वहां मैं मजबूती के साथ लगा था क्योंकि कोई भी व्यक्ति अकेले सब जगह किसी काम को अंजाम नहीं दे सकता। इसीलिए तो राजनीति में टीम भावना के साथ काम को आगे बढ़ाया जाता है अब आपने लोकसभा का जिक्र कर ही दिया है तो मैं यह साफ कर देना चाहता हूँ कि सपा प्रत्याशी कभी भी अपनी लोकप्रियता के बलबूते चुनाव नहीं जीतते है बल्कि चुनाव इमोशनल ड्रामे के साथ जीतते हैं जिसको अबकी बार बीजेपी ने कटेहरी की महान जनता और पार्टी के देवतुल्य कार्यकर्ताओं ने भली भांति समझ लिए जिसके कारण सपा प्रत्याशी का साजिश विफल हुआ और यहां पर कमल खिल गया।
सवाल– डॉ साहब यह बताइये कि आखिर जब सपा प्रत्याशी इमोशनल ड्रामे से जीतते हैं तो आखिर इसका इलाज अब तक बीजेपी क्यों नहीं कर पायी ?
जवाब– देखिए मैंने पहले भी कहा कि भाजपा परिवारवादी पार्टी नहीं है कार्यकर्ता आधारित दल होने के कारण यहां आंतरिक लोकतंत्र है जिससे सामूहिक निर्णय लिये जाते हैं। कभी-कभी निर्णय लेने में चूक भी हो जाती है जिससे परिणाम अनुकूल नहीं आते हैं।
सवाल– डॉ साहब यह बताइये कि यहां के चुनाव में पार्टी के बहुत से वरिष्ठ नेता और मंत्री लगे थे लेकिन जो सोहरत जनता और कार्यकर्ताओं में चुनाव के बाद आपके प्रति देखने को मिल रही है आखिर उसका क्या कारण है ?
जवाब– मैं जब गोरखपुर क्षेत्र का अध्यक्ष था तो उस समय देवरिया घोषी में विधानसभा और आजमगढ़ में लोकसभा का उप चुनाव हुआ था सब में कार्यकर्ताओं के मेहनत की पराकाष्ठा के बदौलत और मोदी जी ,योगी जी की जनकल्याणकारी नीतियों के करण हमें चुनाव में जीत मिली थी। कटेहरी में भी ईश्वर ने इसको पूरा किया जिसका श्रेय कटेहरी की महान जनता देश के प्रधानमंत्री मोदी और सूबे के मुख्यमंत्री योगी तथा भाजपा के तपस्वी कार्यकर्ताओं को जाता है मैं सबको हृदय से नमन करता हूँ।
सवाल– डॉक्टर साहब आपने हमारे सवाल का जवाब नहीं दिया आखिर अब तो चुनाव बीत गया है लेकिन पार्टी कार्यकर्ता और जनता आपके संगठन कौशल की सराहना करते नहीं थकते ?
जवाब– मुस्कुराते हुए कहते हैं कि जो स्नेह और प्यार यहां के लोगों से हमें मिला है मैं उसका आभारी हूँ और यहां से जाने के बाद हमारे मन में भी वहां के पार्टीजनों के प्रति बहुत ही अच्छा भाव है और एक पारिवारिक लगाव हो गया है बाकी सवाल का जवाब कटेहरी की महान जनता से आपको मिलेगा मैं प्रदेश महामंत्री संगठन आदरणीय धर्मपाल जी का भी हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने हमारे पर विश्वास व्यक्त करके यहां का चुनाव प्रभारी बनाया था।