यश भारती पुरस्कार से सम्मानित डॉ. अब्बास रजा की शेर पर गूंज उठी महफिल

अंबेडकरनगर। सांसों को चलने न दिया और जिस्मों को मरने न दिया-मौत व हयात में रब्त ये कैसा जैनब व सज्जाद से है। यश भारती पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर डॉ अब्बास रजा नय्यर ने यह शेर पढ़ा तो मजमा में हुसैन जिंदा बाद के स्वर गूंज उठे। मौका था जश्न शरीकतुल हुसैन बनाम सय्यद-ए-सज्जाद के अवसर पर आयोजित तरही महफिल का। जलालपुर के ग्राम पंचायत नगपुर स्थित मतलूबपुर छोटी दरगाह में अंजुमन सज्जादिया की ओर से आयोजित तरही महफिल की अध्यक्षता मीर नजीर बाकरी व संचालन जाहिद कानपूरी ने किया। कार्यक्रम के संयोजक मौलाना जफरूल हसन ने कहा कि कर्बला के वाकये के बाद हजरत इमाम जैनुल आबेदीन अलैहिस्सलाम ने इंसानियत की शमा को जलाए रखा। महफिल में शम्स तबरेज,जाहिद जलालपुरी,बेताब हल्लोरी,सुल्तान सरूर लखनऊ,अख्तर सिरसिवी, सुहैल बस्तवी,रजी बिस्वानी,शबरोज कानपूरी, फाजिल जरेलवी,आले रजा, डॉ आफताब रजा, मौलाना कर्रार हुसैन समेत स्थानीय शायरों ने कसीदा पढ़कर खूब वाहवाही लूटी। कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने में मौलाना हसन मेंहदी, मौलाना फरमान हैदर,मौलाना जैगम अब्बास, मौलाना परवेज कमाल,अली मेंहदी जैदी उत्तराखंड, मौलाना नय्यर बहिश्ती,अकील अब्बास आदि लोग शामिल हुए।कार्यक्रम में अंजुमन के मासूम अली, ताहिर हुसैन,मोहम्मद शारिब, इब्ने अली जाफरी,हाजी हसन रजा रिकाड, किरदार मेंहदी, अलमदार हुसैन, करार हुसैन आदि का सहयोग रहा।