भ्रष्टाचार की खबरों को रेलवे बोर्ड ने लिया संज्ञान, मचा हड़काम

दशकों से लूट खसोट में जमें सुपरवाइजर स्तर के कर्मचारियों के लिए नियमावली लागू
लखनऊ। उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर जागा रेलवे प्रशासन रेलवे मंत्रालय ने लिया संज्ञान तीन वर्ष से अधिक कोई भी सुपरवाइजर अपने पद पर एक स्थान पर नहीं रहेगा तैनात। पूरे जोन एवं मंडलों में भ्रष्टाचारियों में हड़कंप, खासकर यूनियनों के चहेतों में जो एक दशकों से एक ही सीट पर यूनियन का पदाधिकारी बनकर काट रहे माल।हां अगर आप रेलवे में मौज करना चाहते हैं बैठकर एक स्थान पर वेतन लेकर तो बस किसी मान्यता प्राप्त यूनियन का पदाधिकारी बन जाईए फिर जलवा ही जलवा और कमाईदार वाली सीट पकड़ लीजिए वर्षों में बन जाईए करोड़ों का मालिक।लेकिन क्या यह रेलवे बोर्ड का आदेश फालो हो पायेगा इन यूनियन के नेताओं के आगे,यह एक यक्ष प्रश्न बना हुआ है। मिली जानकारी के अनुसार पूरे मंडल में लगभग चौरासी लोग जो कम या ज्यादा हो सकते हैं बिगत कई वर्षों से एक ही स्थान पर अंगद की तरह पैर जमाये हुए हैं परिचालन विभाग, वाणिज्य विभाग, इंजीनियर विभाग आदि प्रमुख विभागों में और जब इनके काले कारनामों की शिकायत होती है तो ये सब किसी न किसी यूनियन के पदाधिकारी बने हुए हैं और यूनियन की आड़ में तबादला नहीं होता है ,मंडल में जितने भी यातायात निरीक्षक, मुख्ययार्ड मास्टर, यार्ड मास्टर, वाणिज्य निरीक्षक,लोको निरीक्षक, हित निरीक्षक, सीओएस कार्मिक विभाग मंडल आफिस,सीआर अनुभाग, एवं रिकॉर्ड अनुभाग सभी स्थानों पर नियम की धज्जियां उड़ी हुई हैं जबकि रेलवे बोर्ड का नियम है कि कोई भी यातायात निरीक्षक या वाणिज्य निरीक्षक चार वर्ष से अधिक एक स्थान पर नहीं होगा नियुक्त। और यही स्थिति मंडलआफिस हजरतगंज के कार्मिक विभाग एवं अन्य विभागों में भी आदेश लागू है लेकिन हर जगह मनमानी चरमसीमा पर है। रेलवे के एक अधिकृत सूत्र ने बताया कि उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल वाराणसी रायबरेली,प्रयाग, जौनपुर, अयोध्या कैंट, सुल्तानपुर, प्रतापगढ, लखनऊ मंडल के समस्त अस्पतालों में विगत दो दशकों से अधिक फार्मासिस्ट एक ही स्थान पर कार्यरत हैं जबकि रेलवे बोर्ड के अनुसार जो भी रेलवे कर्मचारी सेंसिटिव पद पर कार्यरत है या उनके पास स्टोर है तो उनका स्थानांतरण चार वर्ष के बाद हो जाना चाहिए लेकिन लखनऊ मंडल में तो यूनियन हावी है इस लिए कई वर्षों से इस नियम का पालन नहीं किया गया हैजबकि इंडोर अस्पताल चारबाग, आलमबाग,लोको चारबाग आदि पूरे मंडल में सारे अस्पतालों में अवैध ढंग से सिक करने पर प्रति दिन तीन सौ से लेकर पांच सौ रुपया प्रति कर्मचारी से खुलेआम वसूला जा रहा हैजिसकी वजह से फार्मासिस्ट एक ही स्थान पर माल काटकर लाखों का संपत्ति बना चुके हैं और रेलवे की विजिलेंस केवल रेलवे का वेतन लेने के अलावा इनके पास कोई दूसरा चारा नहीं है। रेलवे कर्मचारियों ने बताया कि रेलवे को विजिलेंस विभाग खत्म कर देना चाहिए। सबसे मजे की बात तो ये है कि परिचालन विभाग में एक स्टेशन अधीक्षक सुल्तानपुर है वह यूनियन का नेता है चार वर्षों से अधिक हो गया बालबांका नहीं हुआ जबकि कई आरोप भी लग चुका है यही स्थिति राय बरेली स्टेशन अधीक्षक का है विगत कई वर्षों से जमा हुआ है चूंकि वह चर्चा है कि सीडीओएम का चहेता के साथ यूनियन का पदाधिकारी है और इसके खिलाफ धरना प्रदर्शन संविदा कर्मियों द्धारा किया गया लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ा। बताते तो यहां तक हैं इसके पहले सीडीओएम केकेरोरा अपने कार्य काल में किसी भी यूनियन का नहीं सुनते थे लेकिन बाकी जितने भी अधिकारी आये हैं सब नेता जी से पूंछ कर ही कोई पदोन्नति वाली लिस्ट निकालते हैं। अब देखना ये है कि ये जो लेटर रेलवे बोर्ड ने निकाला है क्या इसका अक्षरतह पालन हो पायेगा कि फिर लेटर रद्दी की टोकरी में जायेगा।