Ayodhya

प्राथमिक विद्यालय विशुनपुर के व्यायाम शिक्षक से बने प्रधानाध्यापक की प्रोन्नति को लेकर उठ रहे सवाल

  • ढेड़ दशक से तैनात प्रधानाध्यापक की कार्यशैली को लेकर इर्द-गिर्द गांवों में चर्चा का बाजार गर्म

अम्बेडकरनगर। जिले के बेसिक शिक्षा विभाग में अध्यापकों के स्थानांतरण और तैनाती में नियमों की अनदेखी का खेल दशकों से चला आ रहा है। इसके पीछे भ्रष्टाचार अहम कारण बताया जा रहा है जब कि शिकायतें भी होती आ रही हैं किन्तु जांच में मामले को रफा-दफा करना आम-बात हो गयी है। इसकी नजीर शिक्षा क्षेत्र कटेहरी के प्राथमिक विद्यालय विशुनपुर में कार्यरत प्रधानाध्यापक दलजीत सिंह काफी हैं।
ज्ञात हो कि उक्त प्राथमिक विद्यालय में दलजीत सिंह को 15 साल पहले विभागीय स्थानांतरण के दौरान तैनाती दी गयी थी। दलजीत सिंह उच्च प्राथमिक विद्यालय में व्यायाम शिक्षक के पद पर नियुक्ति की गयी थी जिन्हें प्रोन्नति के बाद प्रधानाध्यापक बनाया गया। इस प्रोन्नति और स्थानांतरण को लिया जाए तो व्यायाम शिक्षक को प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक का दायित्व नहीं दिया जाना चाहिए कारण जिस विद्यालय में सम्बंधित की नियुक्ति की गयी है वहां छात्रों के व्यायाम आदि कराने की जिम्मेदारी कौन निभायेगा? जब कि प्राथमिक विद्यालय विशुनपुर में छात्र संख्या भी नियम के सापेक्ष बहुत कम है। इसके बावजूद इस विद्यालय में फर्जी छात्र संख्या उपस्थिति पंजिका में दिखाकर एक प्रधानाध्यापक, दो सहायक अध्यापक,एक शिक्षामित्र एवं दो रसोईयों का वेतन विभाग से आहरित किया जा रहा है। प्रधानाध्यापक दलजीत सिंह ढेड़ दशक से इस विद्यालय में जमे है जिनका इर्द-गिर्द गांवों में इनके द्वारा शिक्षण कार्य में रूचि न लिये जाने की चर्चा आम है। स्थानीय लोगों के अनुसार जब से दलजीत सिंह को यहां प्रधानाध्यापक नियुक्ति किया गया है तभी से इस विद्यालय में छात्र संख्या घटती जा रही है। यही नहीं प्रधानाध्यापक पर कई तरह के गंभीर आरोप भी ग्रामीणों द्वारा लगाये जा रहे हैं जो कहीं न कहीं अभिभावकों को अपने पाल्यों का दाखिला कराने में बांधा उत्पन्न हो रही है। इसके अलावा फर्जी छात्र संख्या के जरिये मिड्डेमिल में हर महीने हजारों रूपये का घोटाला भी होता आ रहा है। बताया जाता है कि प्रधानाध्यापक दलजीत सिंह की विभाग में गहरी पैठ है जिसके चलते शिकायतों को जिम्मेदार अधिकारी गंभीरता से न लेकर मामले को रफा-दफा कर जिम्मेदारी से इतिश्री करते आ रहे हैं। नतीजा यह है कि प्रधानाध्यापक का हौसला बुलन्द है। उक्त के सम्बंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी से उनका पक्ष जानने के लिए प्रयास किया गया किन्तु उनके द्वारा काल रिसीब न किये जाने से बात नहीं हो सकी।

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