डीएम साहब! कथित दलाल बाबुओं पर एआरटीओ की बरस रही है कृपा
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सरकारी कर्मचारी का चोला पहने इन दलालों से आये दिन ठगी का शिकार हो रहे हैं जरूरतमंद
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मीडिया की सुर्खियों में आने के बावजूद भी एआरटीओ ने नहीं लिया संज्ञान, लोगों का हौसला बुलन्द
अम्बेडकरनगर। एक तरफ प्रदेश की योगी सरकार भ्रष्टाचार मुक्त करने का दावा कर रही है। तो वही दूसरी तरफ विभागीय अधिकारी मुख्यमंत्री के दावे को पलीता लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। विगत कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री ने एक फरमान जारी किया था कि अब सरकारी दफ्तरों में कंप्यूटर एवं दस्तावेजों को कोई भी प्राइवेट कर्मचारी हस्तक्षेप नहीं करेगा। लेकिन मुख्यमंत्री का फरमान जिले में हवा-हवाई साबित हो रहा है। आपको बताते चलें कि एआरटीओ ऑफिस के अंदर दलालों का रहता है बोलबाला। किसी भी समय दफ्तर में कोई भी अधिकारी जाकर स्वयं देख सकता है बाबू की कुर्सी पर दलाल कैसे रहते हैं सुसज्जित काम करने के लिए फरियादियों को सबसे पहले इन दलालों से मुलाकात कर सारी मांगे पूरी करनी पड़ती है उसके बाद फिर आगे का काम। प्राप्त जानकारी के अनुसार मनोज पांडेय नाम का व्यक्ति एआरटीओ दफ्तर में फिटनेस का काम देखता हैं। लगभग इस समय सभी गाड़ियों में नहीं लग रहे हैं स्पीड गवर्नर मशीन, फिर भी फिटनेस किया जा रहा है। आखिरकार एआरटीओ अपने चहेते मनोज पांडे, उमेश,व,राजन पांडे जैसे लोगों को क्यों और किस आधार पर रखा हैं क्या यह सरकारी कर्मचारी हैं या फिर कर्मचारियों का चोला पहना दिया गया है। ये एआरटीओ ऑफिस के दलाल अपनी दलाली के बल पर करोड़ों की संपत्तियों के मालिक बनकर अपना दबदबा बनाए हुए हैं। आखिर जब दलाली कर कर ऑफिस में करोड़ों की संपत्ति बनाया जा सकता है तो ऑफिसों के अधिकारियों की संपत्ति कितने करोड़ की बन सकती है इसका अंदाजा लगाना मुमकिन नहीं नामुमकिन है। इन दलालों की संपत्ति की जांच के लिए मुख्यमंत्री प्रदेश शासन से मांग करने के लिए एक सामाजिक कार्यकर्ता उठाया कदम। एआरटीओ ऑफिस में कहीं कोई फिटनेस करते नजर आया, तो कहीं कोई दलाल बाबू बनकर बैठा है और कहीं कोई फाइलों को उथल-पुथल करता नजर आया, और हद तो तब हो गई जब दलालों से भरा पड़ा रिकॉर्ड रूम। यह सब देखकर यह साबित हो रहा है कि एआरटीओ दफ्तर सरकारी कर्मचारी नहीं बल्कि उनके पाले हुए दलाल चला रहे हैं। वहीं कुछ लोगों ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि एआरटीओ दफ्तर के जिम्मेदार अधिकारियों ने ही इन दलालों को शरण दे रखी है जिसके चलते भोली भाली जनता इन दलालों का शिकार हो जाती है। लोगों ने यहां तक बताया कि बिना पैसे के अधिकारी फाइलां पर सिग्नेचर तक नहीं करते क्या एक आम इंसान अपने वाहन के कागजों का काम बिना किसी माध्यम से नहीं करा सकता। सही बात तो यह है कि अधिकारी खुद ही इतना घुमा फिरा कर वाहन चालकों को जानकारी देते हैं कि बेचारे