Ayodhya

जिले में निर्माण कार्य कर रही कार्यदाई संस्था यूपीपीसीएल के घटिया निर्माण कार्य से भ्रष्टाचार का बोलबाला

  • निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार करने में कार्यदाई संस्था यूपीपीसीएल पूरी तरह से लिप्त

  • संस्था के इंजीनियर को पीला ईट भी अव्वल दिखाई देता है

  • जिले में हो रहे राजकीय इंटर कॉलेज के निर्माण कार्य में जबरदस्त भ्रष्टाचार

  • ठेकेदार और जिम्मेदार अधिकारियों के मिली भगत के चलते घटिया निर्माण कार्य पर नहीं लग रहा है लगाम

अंबेडकरनगर। मुख्यमंत्री जी, भ्रष्टाचार मुक्त का नारा जिले में अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार युक्त में बदल दिया गया है। आलम यह है कि जिले में विकास कार्य के नाम पर ठेकेदारों द्वारा जबरदस्त भ्रष्टाचार किया जा रहा है निर्माण कार्य में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर लगातार हिंद मोर्चा अखबार खबरों को प्रकाशित कर रहा है। परंतु कार्यदाई संस्था से लेकर ठेकेदार तक भ्रष्टाचार करने में मशगूल हैं लेकिन विडंबना तो यह है कि जिम्मेदारों ने इतने बड़े भ्रष्टाचार होने के बाद भी चुप्पी साध रखी है।हिंदमोर्चा टीम द्वारा आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर कॉलेज जाफरगंज में कॉलेज के बाउंड्री वॉल निर्माण में पीली ईंटों का प्रयोग जबरदस्त पैमाने पर किया जा रहा है। जबकि इससे पहले भी राजकीय आश्रम पद्धति कॉलेज प्रतापपुर चमुर्खा में घटिया क्वालिटी की बालू और पीली ईंटों से निर्माण का मामला प्रकाश में आया उसके बाद राजकीय उच्चतर माध्यमिक बालिका विद्यालय रामपुर सकरवारी में भी पीली ईंटों से बाउंड्री वालों से लेकर बिल्डिंग तक का निर्माण कार्य कराए जाने का मामला प्रकाश में आया परंतु जिले के जिम्मेदार अधिकारियों और कार्यदाई संस्था वह ठेकेदारों ने मिलकर सारे भ्रष्टाचार को हजम कर पानी डाल दिया। ऐसे में इन अधिकारियों के लचीले रवैया के चलते जिले में जहां कहीं भी निर्माण कार्य चल रहा है हर जगह पीला ईट और घटिया बालू का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है। पंडित दीनदयाल राजकीय मॉडल इंटर कॉलेज के निर्माण कार्य में हो रहे घटिया पीली ईंट के विषय में जब कार्यदाई संस्था यूपीपीसीएल के जे ई गौरव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जब हम जाते हैं तो हमें सब सही दिखाई देता है पूछा गया कि निर्माण कार्य में जो पीला ईट लगाया जा रहा है वह कैसा है तो इस पर उन्होंने चुप्पी साधते हुए मामले को टाल दिया और कहा कि हम इसे ठेकेदार से बात कर देखते हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि एक कार्यदाई संस्था के इंजीनियर को पीली ईंटों से हो रहे निर्माण में कुछ गलत दिखाई नहीं दे रहा है। इससे साफ प्रलक्षित होता है कि कार्यदाई संस्था के इंजीनियर भ्रष्टाचार में लिप्त है या फिर पीले और अव्वल ईंटों में अंतर उन्हें समझ में नहीं आ रहा है। आखिरकार अगर ऐसे निर्माण कार्यों में बंदर बांट होती रही तो इस संस्था और ठेकेदारों द्वारा बनाई गई बिल्डिंग में कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है क्योंकि घटिया निर्माण करने में कार्यदाई संस्था के इंजीनियर से लेकर ठेकेदार व जिम्मेदार अधिकारी भी पूरी तरह से लिप्त है। ऐसे में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा जो भ्रष्टाचार मुक्त का नारा दिया गया था वह पूरी तरह से इन जिम्मेदारों द्वारा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दी गई है। (पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर कॉलेज में व्याप्त भ्रष्टाचार को भी पढ़िए अगले अंक में)।

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