Ayodhya

जातीय समीकरण के चुनाव में कितना कारगर होगा दारू, मुर्गा व नोट के बदले वोट का हथकंडा

  • जातीय समीकरण के चुनाव में कितना कारगर होगा दारू, मुर्गा व नोट के बदले वोट का हथकंडा
  • इस नायाब तरीके को अपनाने में एक प्रत्याशी को लेकर जनपद वासियों में चर्चा जोरों पर
  • दलित व अति पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को पाले में करने के लिए अपनाया जा रहा है हथकंडा

अम्बेडकरनगर। छठवें चरण के चुनाव में 55 लोकसभा से जातीय समीकरण के आधार पर पार्टी के प्रत्याशियों ने मतदान के अंतिम दिन पूरी ताकत झोंक दी है जिनके द्वारा दारू,मुर्गा व नोट के बदले जीत सुनिश्चित करने के लिए हथकण्डा अपनाया जा रहा है। इसे लेकर जनपद वासियों में चर्चा जोरो पर है।
ज्ञात हो कि उक्त लोकसभा क्षेत्र में लगभग 19 लाख मतदाता बताये जा रहे हैं। इनमें लगभग दलित 3 लाख 83 हजार,धोबी व पासी 42 हजार,ब्राह्मण 1 लाख 58 हजार,क्षत्रिय 86 हजार, कुर्मी 1 लाख 64 हजार, मुस्लिम 2 लाख 50 हजार,यादव 1 लाख 35 हजार, कोरी 1 लाख 51 हजार,निषाद 1 लाख 35 हजार, मौर्या 53 हजार, राजभर 1 लाख 18 हजार, पाल 38 हजार 5 सौ,बनिया 86 हजार, मुसहर व कहार 40 हजार, नाई 40 हजार, चौहान 22 हजार, विश्वकर्मा 28 हजार के अलावा अन्य जातियां जिनकी संख्या 41 हजार के आंकड़े को लेकर भाजपा, सपा और बसपा के प्रत्याशी चुनाव मैंदान में है। इस लोकसभा का मतदान शनिवार को सुनिश्चित है। एक दिन पहले इस जातीय आंकड़े को लेकर प्रत्याशियां ने अकबरपुर,टाण्डा,कटेहरी,जलालपुर व गोशाईगंज विधानसभा क्षेत्रों में पूरी ताकत अपनी जीत पाने के लिए लगा दिया है। सूत्रों के अनुसार इस जातीय आंकड़े पर एक प्रत्याशी द्वारा दारू,मुर्गा और नोट के बदले वोट के लिए पूरा जोर लगा दिया गया है। इसे लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं व प्रबुद्ध वर्गीय लोगों का कहना है कि एक तरफ भारत निर्वाचन आयोग निष्पक्ष,पारदर्शी चुनाव कराने में किसी को प्रभाव व प्रलोभन में न आने के लिए जागरूकता के जरिये हिदायत दी जा रही है। वहीं दूसरी ओर जिस तरीके से सम्बंधित प्रत्याशी के कार्यकर्ता शहरों व गांवों में पहुंचकर दलित व अति पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को पक्ष में मतदान करने के लिए उन पर यह हथकंडा चल रहा है जो कहीं न कहीं आयोग के अधिकारियों के लिए चुनौती है। फिरहाल यह नायाब तरीका जो दारू,मुर्गा व नोट के बदले वोट के लिए अपनाया जा रहा है यह कितना कारगर होगा, आने वाला समय बतायेगा।

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