Ayodhya

NR मंडल का मैकेनिकल विभाग बना भ्रष्टाचारियों का अड्डा, काले कारनामे में शामिल लोग करोड़ों का लगा रहे विभाग को चुना

 

लखनऊ। उत्तर रेलवे का मैकेनिकल विभाग एक बार फिर आया सुर्खियों में दर्जनों लोको पायलट से लेकर शंटर तक ले रहे बैठकर वेतन नहीं है कोई लगाम लगाने वाला अधिकारी लगाम लगाने वाला अधिकारी खुद फंसा है विजिलेंस केस में? मिली जानकारी के अनुसार लखनऊ मुख्यालय के चीफ टीएलसीध् लखनऊ तथा चीफ क्रू कंट्रोलर की मिली भगत से एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जिसमें विजिलेंस से लेकर संबंधित विभाग के अधिकारी खुद इस भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे हुए हैं मात्र चंद रुपयों को लेकर क्या यह सत्य है। जब कि रेलवे की विजिलेंस विभाग इसी लिए बनाया गया है कि वह समय समय पर जाकर निगरानी करे और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कार्रवाई करे लेकिन चार पांच वर्षों से ये कर्मचारी मनमानी ढंग से डेढ लाख से दो लाख रूपए प्रति माह वेतन ले रहे हैं लेकिन आज तक विजिलेंस को कानों कान खबर नहीं लगी क्यों यह जांच का विषय है और इसकी जांच गहराई से होनी चाहिए।प्राप्त विवरण के अनुसार तीन लोको पायलट ऐसे हैं जो बिना कार्य के वेतन ले रहे हैं ये तो एक मामूली उदाहरण है, राकेश कुमार गुप्ता, डीपी सिंह,नीरजकुमार एनएल ये तीनों रेलवे कर्मचारी विगत लगभग चार वर्षों पहले जौनपुर शंटिंग के लिए विभाग द्धारा भेजा गया था जहां अट्ठारह माह पहले शंटर अयोध्या लाबी के द्धारा नियुक्त कर दिए गए लेकिन अभी तक ये तीनों कर्मी सुल्तानपुर लाबी वापस नहीं आये और लगातार मिली भगत से हाजिरी लगाकर वेतन एवं अन्य भत्ते सुविधाएं सहित ले रहे हैं।रेलवे के विभागीय सूत्रों ने बताया कि जबकि इनकी नई पोस्टिंग व अयोध्या लाबी के अन्तर्गत जौनपुर चले जाने के बाद इनको सुल्तानपुर लाबी वापस आ जाना चाहिए लेकिन विभाग के अधिकारी एवं यूनियन नेता गंठजोड़ के चलते इनको विभाग को अंधेरे में रखकर बिना कार्य का डियूटी पूरा लाभ दिलवाया जा रहा है क्यों।इस तरह से लगभग दर्जनों लोग तो ऐसे हैं जो अवैध ढंग से मेडिकल अनफिट होकर लाखों रुपया प्रति माह रेलवे से आहरण कर रहे हैं सबसे मजे की बात तो ये है कि इसी विभाग का जो मंडल का जिम्मेदार अधिकारी है खुद विजिलेंस केस में फंसा हुआ है।

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