इबादत और तिलावत के साथ रोजेदार रब की बारगाह में मांगते हैं दुआ

अंबेडकरनगर। रमजान के मुबारक महीने को तीन भागों में बांटा गया है। दस दिन का पहला अशरा रहमत का होता है। दूसरा दस दिन मगफिरत और अंतिम के दस दिन जहन्नुम से निजात का तीसरा अशरा होता है। हदीस के मुताबिक इन तीनों अशरा में अलग अलग मान्यताएं होती है। इन्हीं अशरा के अनुसार इबादत और तिलावत के साथ रोजेदार रब की बारगाह में दुआएं मांगते हैं। रमजान उल मुबारक के पहले व दूसरे अशरे समाप्ति के बाद रोजेदारो ने कारोबार घर दुकान और मकान में रहमत और बरकत की रब से खूब दुआएं मांगी। शुक्रवार को सूर्यास्त के बाद जहन्नुम से निजात का तीसरा अशरा का आगाज हो गया। रमजान के इन दस दिनों में रोजेदार अल्लाह से जहन्नुम से निजात के लिए रब से दुआएं मांगते। शुक्रवार की रात से ही कुरान की तिलावत और इबादत के साथ महिला अकीदतमंद घरों में जहन्नुम से निजात के लिए दुआएं करना शुरू कर दिया है। वहीं मस्जिदों में पांच वक्त की नमाज के साथ ही तरावीह की नमाज के बाद रोजेदार अल्लाह की बारगाह में अपने गुनाह की माफी मांग रहे हैं। शिया आलिम व इमाम-ए-जुमा मौलाना रहबर सुल्तानी ने कहा कि अंतिम अशरे में 23वीं रमजान की रात्रि को शब-ए-कद्र की रात होने से इस रात्रि की बहुत अहमियत है। इस रात्रि को पवित्र कुरान नाजिल हुआ था। इसके अलावा 19वीं व 21वीं रमजान को भी शब-ए-कद्र की रात के तौर पर जाना जाता है। इन रातों में रोजेदार पूरी रात बेदार रहकर अल्लाह की इबादत करते हैं। मौलाना हबीबुर्रहमान नूरी ने बताया कि रमजान के तीसरे अशरे में रोजेदार अल्लाह से जहन्नुम से निजात के लिए दुआएं मांगते हैं।