श्रीमद्भागवत कथा कलश यात्रा के साथ शुभारम्भ
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टांडा,अंबेडकरनगर। भारतीय पारंपरिक वेश भूषा में सोमवार से टांडा के नेहरूनगर में श्रीमद्भागवत कथा का कलश यात्रा के साथ शुभारंभ हुआ। राधेश्याम शास्त्री महाराज के नेतृत्व में पूरे टांडा कस्बे में बैंड बाजे के साथ कलश यात्रा निकाली गयी जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्तो ने हिस्सा लिया । यात्रा में बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालु पीला वस्त्र पहन कर व सिर पर कलश लेकर कर शामिल हुई। पवित्र सरयू नदी से कलश को भर कर लाने के बाद कथा आयोजन स्थल पर धार्मिक विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चरण के साथ स्थापित किया गया। आरती के साथ शुरू किए गए श्रीमद् भागवत कथा में राधेश्याम शास्त्री महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को सर्वप्रथम इसकी महिमा से अवगत कराया। उन्होने कहाकि भागवत कथा सुनने के प्रभाव से मनुष्य बुराई त्याग कर धर्म के रास्ते पर चलने के साथ साथ मोक्ष को प्राप्त करता है इस कथा का गलती से भी कोई श्रवण कर लेता है, तो भी वो कई पापों से मुक्ति पा लेता है शास्त्री ने बताया कि अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित ने इस कथा को सुना था, जिसके प्रभाव से उसके अंदर तक्षक नामक नाग के काटने से होने वाली मृत्यु का भय दूर हुआ और उसने मोक्ष को प्राप्त किया था। कथावाचक ने श्रीमद्भागवत कथा के महात्म्य की चर्चा करते हुए कहाकि श्रीमद्भागवत कथा, ऐसी कथा है, जो जीवन के उद्देश्य एवं दिशा को दर्शाती है। इसलिए जहां भी भागवत कथा होती है, इसे सुनने मात्र से वहां का संपूर्ण क्षेत्र दुष्ट प्रवृत्तियों से खत्म होकर सकारात्मक उर्जा से सशक्त हो जाता है। उन्होंने कहा कि कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होती है, जब इसे हम अपने जीवन और व्यवहार में धारण करें। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। इस दौरान शंकर गुप्ता,कुसुम लता ,मदनलाल कसौंधन, अभिषेक कुमार, आशीष कुमार, विनीता,अमिता गुप्ता आदि भारी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।