Ayodhya

विकास खण्ड जलालपुर की ग्राम पंचायतों के विकास में मानकों की अनदेखी का चल रहा खेल

  • बीडीओ और उनके मातहत लिपिक व सचिवों के भ्रष्टाचार गुणवत्ता में बाधा को लेकर चर्चा

  • नाली, खड़न्जा, सीसी रोड, इण्टरलॉकिंग आदि में मानकों की अनदेखी से गुणवत्ता तार-तार

  • गरीबों के आवास व पशुशालाओं के निर्माण में प्रधानों के जरिये सचिव करवा रहे लाभार्थियों से वसूली

अम्बेडकरनगर। जनपद के विकास खण्ड जलालपुर क्षेत्र की ग्राम पंचायतां के विकास कार्यों में भारी पैमाने पर अनियमितता का खेल चला आ रहा है जिसके पीछे खण्ड विकास अधिकारी और उनके मातहत लिपिक एवं सचिवां का भ्रष्टाचार अहम कारण बताया जा रहा है। इस भ्रष्टाचार के चलते निर्माण कार्यें में गुणवत्ता तार-तार हो गयी है। जब कि शासन का निर्देश है कि गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ बर्दास्त नहीं है।
ज्ञात हो कि शहरों की तरह ग्राम पंचायतों के विकास के लिए भारी भरकम धनराशि महैया शासन द्वारा कराया जा रहा है। ताकि ग्राम पंचायतों के लोगों को मूलभूत सुविधाएं संभव हो किन्तु इसमें भारी पैमाने पर घपला घोटाले का खेल विकास खण्डों के अधिकारियों और कर्मचारियों का चल रहा है। ऐसी दशा में जो भी निर्माण कार्य कराये जा रहे हैं निर्माण के पश्चात जर्जर होना आम बात हो गयी है। इसके लिए विकास खण्ड जलालपुर की ग्राम पंचायतें नजीर है। कोई भी ग्राम पंचायत ऐसा नहीं है जहां निर्माण कार्यों में गुणवत्ता के अनुरूप कार्य हो रहा है। निर्माण कार्यों जैसे नाली,खड़न्जा है तो उसमें घटिया किस्म के पीले इंर्ट और मोरंग का प्रयोग न करके देशी बालू से कराया जा रहा है। आरसीसी के जो कार्य है उनमें भी मानकों की अनदेखी हो रही है। इण्टरलॉकिंग में आईएसआई मार्का के प्रयोग का निर्देश है किन्तु जगह-जगह छोटे-छोटे उद्योगों जिनके कागजात आदि तक नहीं है और वहां घटिया किस्म के इण्टरलॉकिंग बनाये जा रहे हैं, से ग्राम पंचायतों के सचिव व प्रधान खरीददारी करके इण्टरलॉकिंग आईएसआई मार्का के दर पर बिल बनवाकर लगवा रहे हैं। पशुशाला जिनके नाम आवंटित हो रहा है,प्रति लाभार्थी से 20 से 25 हजार की वसूली की जा रही है। गरीबों के आवास को लिया जाए तो इसमें भी प्रति लाभार्थी से 15 से 20 हजार प्रधान व सचिव जिले के अधिकारियों को सुविधा शुल्क देने के नाम पर वसूल रहे हैं। जलालपुर संवाद सूत्र के अनुसार जिन ग्राम पंचायतों में विकास के कार्य चल रहे हैं सभी में अंधाधुंध मानक के विपरीत कार्य कराया जा रहा है। बताया कि इस सम्बंध में ग्राम पंचायतें के प्रधान और सचिवों का नाम न छापने की शर्त पर कहना है कि जो भी निर्माण कार्य कराने होते है उसके लिए खण्ड विकास अधिकारी और उनके मातहत लिपिक को प्रस्ताव के पहले बतौर कमीशन का भुगतान करना होता है। ऐसी दशा में कैसे गुणवत्ता के अनुरूप कार्य कराये जाएं? इससे साफ जाहिर है कि उक्त विकास खण्ड के अधिकारी से लेकर लिपिक और सचिव पूरी तरह से भ्रष्टाचार में आकंठ है उनके लिए शासन का आदेश और निर्देश कोई मायने नहीं रखता है। उक्त के सम्बंध में खण्ड विकास अधिकारी से दूरभाष पर सम्पर्क किया गया किन्तु उनके द्वारा यह बताया गया कि अभी मीटिंग में ब्यस्त है ऐसी दशा में मामले की पुष्टि नहीं हो सकी।

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