मुंह मांगी रकम दीजिए,खतौनियों पर अवैध कब्जा कराने के लिए लेखपाल व कानूनगो का खुला है द्वार
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इस तरह की जमीनों पर बगैर नक्शा और अनुमति के आये दिन हो रहे हैं निर्माण
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ऐसे अवैध निर्माण पालिका जलालपुर की भूमिका को लेकर जनमानस में उठ रहे सवाल
अंबेडकरनगर। जलालपुर तहसील की खतौनी पर अवैध कब्जा करना सबसे आसान हो गया है। लेखपाल और कानून का मुंह रुपयों से भर दीजिए किसी की खतौनी पर अवैध कब्जा कर लीजिए। यह हम नहीं यहां निजी जमीनों पर किए जा रहे अवैध निर्माण इसकी गवाही दे रहे हैं।
ताजा मामला जलालपुर कस्बा के वाजिदपुर मुख्य मार्ग स्थित बेस कीमती खतौनी की जमीन की है। जिस पर तहसीलदार के रोक के बावजूद विपक्षियों ने हल्का लेखपाल और कानूनगो की मिली भगत कर रातोरात दीवाल बनाकर अवैध कब्जा कर लिया। जमीन की विधवा मालकिन तहसील अधिकारियों का चक्कर लगा रही है। जानकारी के अनुसार जलालपुर कस्बा की वाजिदपुर की निवासिनी डॉक्टर जेवा लखनऊ में एक डिग्री कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। उनकी खतौनी की जमीन जिसका गाटा संख्या-1527 और 1525 जो वाजिदपुर मुख्य मार्ग पर है। जिसकी वर्तमान कीमत लगभग करोड़ रुपए है। इसी जमीन पर विपक्षी महेंद्र वर्मा आदि भू माफियाओं की बुरी नजर पड़ी और कब्जा करने का प्रयास करने लगे। जानकारी मिलने पर खतौनी धारक प्रोफेसर जेवा ने उपजिलाधिकारी को शिकायती पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई। उपजिलाधिकारी ने मामले के जांच के लिए जलालपुर तहसीलदार पद्मेश श्रीवास्तव को नामित किया। तहसीलदार ने पिछले सप्ताह दोनों पक्षों को बुलाकर दो दिन बाद आना वाले रविवार को पैमाईश की बात कही और इस दौरान किसी प्रकार के निर्माण पर रोक लगा दिया। लेकिन विपक्षी लेखपाल रविकांत की सह पर तहसीलदार के आदेश को चुनौती देते हुए रात में ही निर्माण कार्य करवा लिया। पीड़िता को जानकारी होने पर दोबारा उप जिलाधिकारी और तहसीलदार को मामले से अवगत कराया। तहसीलदार के निर्देश पर बुधवार को कानूनगो शिव पूजन के नेतृत्व में तीन लेखपाल रविकांत त्रिपाठी, राशिद अख्तर और संतोष कुमार को सहमति के आधार पर खतौनी को पैमाईश करने का निर्देश दिया। लेकिन विपक्षी द्वारा कानूनी अड़चनों का हवाला देते हुए पैमाईश नहीं होने दिया। पीड़िता विधवा ने ईओ नगर पालिका से शिकायत कर बगैर नगर पालिका के अनुमति के किया गए अवैध अतिक्रमण गिराने का निवेदन किया। इस दौरान मौके पर मौजूद विपक्षियों ने उच्चाधिकारियों को गालियां देते हुए चुनौती दिया कि देखते है कि किसकी औकात है जो दीवाल को गिरा सके। जमीनों पर निर्माण के समय लगातार हो रहे विवाद के चलते नगर पालिका भी सवालों के घेरे में आ गई है। आखिर वगैर नक्शे और परमिशन के नगर पालिका क्षेत्र में निर्माण कार्य कैसे हो रहे है। जबकि इस तरह की विवादों की बचने के लिए ही नगर पालिका द्वारा नक्शा और परमिशन दिया जाता है लेकिन नगर पालिका द्वारा लगातार आंख बंद किए हुए है।