Ayodhya

देखें वीडियोः मुख्यमंत्री जी, आश्रम पद्धति विद्यालय के निर्माण में मानकों की अनदेखी, कार्यदाई संस्था पर मेहरबान अधिकारी

 

अंबेडकरनगर। मुख्यमंत्री जी, कटेहरी में बन रहे राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय की दुर्दशा का जिम्मेदार समाज कल्याण विभाग से लेकर कार्यकारी संस्था राजकीय निर्माण निगम और ठेकेदार पर जिला प्रशासन मेहरबान है। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही एक नारा दिया गया कि अब भ्रष्टाचार नहीं होने पाएगा लेकिन आज देखने पर यह पता चल रहा है कि चारों तरफ अधिकारी से लेकर कर्मचारी और ठेकेदार भ्रष्टाचार को अंजाम देने में पीछे नहीं हट रहे हैं।

कटेहरी विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत प्रतापपुर चमुर्खा में करीब एक दशक से बन रहा समाज कल्याण आवासीय आश्रम पद्धति बालिका विद्यालय सरकार से लेकर प्रशासन और ठेकेदार की उपेछा और भ्रष्टाचार का दंश झेलने को मजबूर। समाज कल्याण आश्रम पद्धति बालिका विद्यालय का निर्माण काफी दिनों से रुका हुआ था। समाज कल्याण विभाग द्वारा शासन से धन मिलने के पश्चात विद्यालय का निर्माण कार्य करने के लिए कार्यदाई संस्था राजकीय निर्माण निगम को सौंप दिया गया।

लेकिन हद तो तब हो गई जब राजकीय निर्माण निगम और ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है।और जिले के मुखिया से लेकर समाज कल्याण विभाग और जिम्मेदार अधिकारी आंख पर पट्टी बांधकर बैठे हुए हैं। बताते चलें कि पिछले एक दशक से कटेहरी में बन रहे राजकीय आश्रम पद्धति बालिका विद्यालय में अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने कि आस में लोगों के सपने चूर-चूर हो गए।

विद्यालय जब बनना शुरू हुआ तो लोगों ने सोचा कि अब बच्चियों का भविष्य संवारने में काफी मदद मिल जाएगी। परंतु उनकी यह आस सरकार और जिम्मेदारान अधिकारियों के साथ-साथ ठेकेदारों ने भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दिया। कल 30 जनवरी के दिन जब उक्त विद्यालय में हिंद मोर्चा की टीम ने पहुंचकर निर्माण कार्य को देखा तो पैरों के ताले से जमीन ही खिसक गई।

वहां पर कार्य कर रहे मजदूरों से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि ठेकेदार द्वारा मोरंग के नाम पर यही बालू दी गई है और कहां गया है कि इसी का उपयोग करना है। बगल में रखी गई कुछ ऐसी अच्छी किस्म की बालू को सिर्फ दिखाने के लिए रखा गया है। उसको प्रयोग करने से ठेकेदार ने मना किया है।

इसी प्रकार से जब ईंट के विषय में पूछा गया तो सिर्फ दिखाने के लिए 2 से 3 चट्टी ईट एक नंबर के लगे हुए हैं लेकिन उनको प्रयोग नहीं करना है सिर्फ दिखाने के लिए रखा गया है उसी के बगल में जो शुद्ध पीला ईंट रखा गया है उसी का प्रयोग से किया जा है। और घटिया किस्म के ईट को पानी डालकर छुपाने का प्रयास लगातार किया जा रहा है।

वहां पर रखी हुई जंग युक्त सरिया को लगातार प्रयोग किया जा रहा है। और इन सब सामग्रियों का प्रयोग डाइनिंग हॉल बनाने में किया जा रहा है। इस संबंध में जब समाज कल्याण अधिकारी से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन ही नहीं लगा। आखिरकार सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर इस तरह से घटिया सामग्री का प्रयोग किया जाता रहा तो उक्त विद्यालय के दुर्दशा का जिम्मेदार कौन होगा।

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