दलालों से मुक्त नहीं हो पा रहा है एआरटीओ दफ्तर
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दलालों से मुक्त नहीं हो पा रहा है एआरटीओ दफ्तर
अंबेडकरनगर। लाख कोशिश के बावजूद परिवहन विभाग की ऑनलाइन व्यवस्था दलालों के मकड़जाल को ध्वस्त नहीं कर सकी। यही वजह है कि कार्यालय में दलाल सक्रिय है। इनकी सक्रियता का आलम यह है कि हर काम के लिए आवेदक आज भी दलालों के आगे पीछे घूमते नजर आ रहे है।
जिस काम के लिए ऑनलाइन आवेदन शुल्क 500 रुपए है वहीं काम को कराने के लिए दलाल कार्यालय के सामने बने साइबर कैफे से ऑनलाइन प्रक्रिया कराकर एक से 15 हजार रुपए वसूल रहे है। परिवहन विभाग के अधिकारी बतातें है कि ऑनलाइन व्यवस्था की आधी अधूरी जानकारी होने पर आवेदक दलालों के संपर्क में आ जाते है। जबकि कार्यालय के अंदर ऑनलाइन व्यवस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
इस आधार पर आवेदक चाहे तो घर बैठे अपना काम आसानी से निपटा सकते है। ऑनलाइन व्यवस्था के तहत असफल ट्रांजेक्शन अथवा आवेदन शुल्क ज्यादा जमा होने पर रिफंड की सुविधा नहीं है। जबकि रेलवे में ऑनलाइन व्यवस्था के तहत एक सप्ताह में रिफंड खाते में आ जाता है। ऐसे में परिवहन विभाग से पैसा वापस लेने के लिए ट्रेजरी से धनराशि की रिफंड कराने में काफी वक्त लगता है इससे आवेदक परेशान होते है।
नाम न छापने की शर्त पर कार्यालय के कर्मचारी बतातें है कि दलाल विभाग के लिए मजबूरी बन चुके हैं। वजह साफ है कार्यालय में आवेदकों की भीड़ बढ़ रही है और कर्मचारी सेवानिवृत होकर कम होते जा रहे है। दो दशकों से कर्मचारियों की भर्ती हुई नहीं है। ऐसे में कार्यालय के अधिकांश काम दलालों पर ही निर्भर है।
एआरटीओ कार्यालय के बाहर खड़े एक युवा ने बताया कि मैं यहां लाइसेंस बनवाने आया था, तो यहां कार्यालय के अंदर बैठे ही एक व्यक्ति ने मुझे दलाल के बारे में बताकर उससे मिलने के लिए कहा, चूकि यहां आने पर मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था, इस कारण मैंने भी दलाल को भी पैसा देना मुनासिब समझा। मेरे कार्यालय के अंदर दलाल नहीं केवल बाबू काम करते हैं। कार्यालय के बाहर कौन घूम रहा है इसके बारे में हमें नहीं पता है।