थाना अकबरपुर परिसर में दलालों का जमावड़ा होने से पीड़ितों को नहीं मिल रहा है न्याय

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इन्हीं दलालों के इशारे पर फरियादियों के मामले में कार्यवाही किये जाने का लोग लगा रहे आरोप
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प्रभारी निरीक्षक से लेकर हल्का दरोगा पर ऐसे दलालों को संरक्षण दिये जाने की जनमानस में चर्चा जोरों पर
अम्बेडकरनगर। थाना अकबरपुर परिसर में इन दिनां जब भी देखिए दलालों का जमावड़ा लगा रहता है ऐसे दलाल क्षेत्र के पीड़ितों और फरियादियों के न्याय में बांधा बने हैं। इनके द्वारा मामलों में दोषियों की पैरवी किया जाना आमबात हो गयी है। इस तरह के दलालों को प्रभारी निरीक्षक का संरक्षण प्राप्त होना बताया जा रहा है। जिसकी चर्चा आमजन में जोरों पर है।
ज्ञात हो कि सूबे के मुख्यमंत्री द्वारा पीड़ितों और शोषितों को न्याय मिले इसके लिए थानों की पुलिस को हमेशा हिदायत दिया जा रहा है किन्तु इसका पालन अकबरपुर थाने के प्रभारी निरीक्षक और पुलिस कर्मियों द्वारा नहीं किया जा रहा है। बल्कि वे सभी दलालों के इशारे पर ही कार्य कर रहे हैं जिसका नतीजा है कि फरियादियों को न्याय नहीं मिल रहा है। इस तरह के कृत्य से जो अपराधिक गतिविधियों में शामिल है उनके मनोबल को बढ़ावा मिल रहा है। ऐसे दलालों में कथित पत्रकार व दलाल नेता लिप्त होकर पुलिस को आये दिन गुमराह कर रहे हैं। बताया जाता है कि इन दलालों का जमावड़ा थाना परिसर में सुबह से ही शुरू हो जाता है और देर शाम तक लगा रहता है। कई पीड़ितां ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हम सभी निजी मामले में थाने गये थे जहां पहुंचते ही कुछ ऐसे लोग गेट पर मिल गये जो अपने को प्रभारी निरीक्षक और हल्का दरोगा के करीबी बताकर शिकायती पत्र मांग लिये फिर उसे लेकर प्रभारी निरीक्षक तक गये और वहां से वापस आकर यह बताये कि साहब को कुछ खर्चा-बर्चा देना पड़ेगा और जो भी विरोधी है उनके खिलाफ कार्यवाही हो जायेगी। इधर इन लोगों ने बात किया कुछ ही देर में इन्हीं लोगों ने जो विपक्षी से उन्हें इस बात की जानकारी दे दी गयी और उन्हें भी थाने के बाहर चाय और जलपान गृह की दुकान पर ले गये जहां उनके द्वारा उनसे भी साठ-गाठ की गयी और कुछ समय बीतने के पश्चात इन्हीं दलाल प्रवृत्ति के लोगो ने आकर फिर पूंछा क्या हुआ व्यवस्था हो पायी कि नहीं अस्मर्थता जताने पर मालूत पड़ता था कि यही थाने के प्रभारी हैं हड़काते हुए यहां तक कह डाले जाओ इस मामले में कुछ भी नहीं कर पाओगे। इससे यह साफ जाहिर है कि कहीं न कहीं इन दलालों के प्रभाव व प्रलोभन में पुलिस कार्य कर रही है जिसके चलते पुलिस द्वारा मामलों में निष्पक्ष कार्यवाही नहीं की जा रही है। सूत्रों के अनुसार थाना परिसर में दो से तीन ऐसे दलाल दिन भर बैठे रहते हैं जिनके द्वारा कोई भी मामला थाना क्षेत्र से आने पर उनकी समस्याओं से सम्बंधित तहरीर लिखे जाते हैं और उस तहरीर में पीड़ित के दर्द अनुरूप न दिखाकर गोल-माल तहरीर लिखे जाते है। ऐसी तहरीरों से भले ही वह गंभीर अपराध हो किन्तु मामूली धाराओं में मुकदमा लिखने लायक रहता है। सूत्रों के अनुसार पुलिस द्वारा बताये अनुसार ही इन दलालों को तहरीर लिखा जाना बताया गया है। यदि किसी पीड़ित ने स्वयं या बाहर से वास्तविक घटना का तहरीर में उल्लेख किया है तो उसे पुलिस द्वारा मान्य नहीं किया जाता है। वापस करके उन्हीं दलालों के पास भेजने का कार्य सालों से निरन्तर होता आ रहा है। ऐसी दशा में किसी भी पीड़ित को न्याय मिलना मुश्किल हो गया है।