35 साल की शायजा, जिन्हें अपनी मूछों पर है नाज़, पढ़ें इस महिला की ‘अलग’ पहचान की कहानी
मूछें हों तो नत्थूलाल जैसी, मूछें तो मर्द की पहचान हैं जैसे कई मुहावरे किस्म की बातें आपने फिल्मों में, अपने आसपास किसी को कहते हुए ज़रूर सुनी होंगी, लेकिन शायजा ने इन बातों को झुठला दिया है. मूछें कई मर्दों की ही शान नहीं, बल्कि शायजा की भी पहचान बन गई हैं. शायजा मूछें रखती हैं. महिला हैं, लेकिन अपनी मूछों पर बेहद गर्व है. ये मूछें ही शायजा की देशदुनिया में पहचान गई हैं. कई लोग चिढ़ाते हैं, रिश्तेदार ताने देते हैं, लेकिन बिना किसी परवाह के शायजा अपनी मूछों पर ताव देती हुईं अपनी जिंदगी में खोई हुई हैं.
ऐसी है अनोखी कहानी
जी हाँ, ये अनोखी कहानी है शायजा. 35 साल की शायजा केरल के कुन्नूर जिले में रहती हैं. वह शादीशुदा हैं. उनसे लोग बारबार पूछते हैं कि आप मूछें क्यों रखती हैं इस पर वह कहती हैं कि मुझे बस मूछें पसंद हैं. मैं इन्हें साफ़ नहीं कर सकती हैं. ये मेरी पहचान हैं. मुझे बस अपनी मूछों से प्यार है.
क्यों हुआ मूछों का शौक
शायजा कहती हैं कि महिलायें होंठ के ऊपर के बाल हटवा देती हैं. पार्लर में या खुद ही साफ़ कर लेती हैं. ये खूबसूरती का पैमाना है, लेकिन मैंने कई साल तक ऐसा नहीं किया. मुझसे कहा भी गया कि ये साफ़ करा लो, लेकिन मैं ऐसा नहीं चाह रही थी. मुझे धीरे धीरे मूछों से लगाव बढ़ गया. अब मैं मूछों के बिना नहीं रह सकती हूँ. ज़माना चाहे जो कहे. मूछें मेरी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं.
कैसे आया ख्याल
शायजा कहती हैं कि मैं भौहें थ्रेड कराने पार्लर जाती थी. ये पांच साल पहले की बात है. मैं भौहें तो साफ़ कराती लेकिन मूछों की जगह वाले बाल साफ़ नहीं कराती थी. बस यूँ ही मन में ख्याल आया कि रखते हैं. जब ये बाल घने हो गए और मूछें लगने लगे तो तय किया कि अब तो इन्हें रखना ही.
परिजन करते हैं मूछों की तारीफ
शायजा की शादी हो चुकी है. क्या पति इस पर आपत्ति नहीं करते. इस पर वह कहती हैं कि पति मेरा समर्थन करते हैं.
बेटी कहती है मूछें अच्छी लगती हैं
परिवार के अन्य सदस्य भी मेरी मूंछों के खिलाफ नहीं हैं. शायजा की बेटी है, जो अपनी मां की मूंछों का समर्थन करती है. और कहती हैं कि मेरी मां पर मूछें अच्छी लगती हैं.