पेपर लीक में ताबड़तोड़ छापेमारी, मास्टर माइंड की निशानदेही पर आठ और गिरफ्तार
Lucknow : यूपी बोर्ड की 12वीं की परीक्षा का अंग्रेजी का प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में आठ और लोगों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया। प्रश्नपत्र लीक होने के बाद बुधवार को 24 जिलों में कक्षा 12 की अंग्रेजी की परीक्षा रद्द कर दी गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दोषियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लागू करते हुए कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
शुक्रवार को आठ और लोगों के पकड़े जाने के साथ इस मामले में अब तक गिरफ्तार किए जा चुके लोगों की संख्या 34 हो गई है। बताया जाता है कि मास्टर माइंड की गिरफ्तारी और उससे पूछताछ के बाद ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद गिरफ्तारी हुई है। पुलिस का दावा है कि शुक्रवार को गिरफ्तार किए गए आरोपियों में घटना का मास्टरमाइंड भी शामिल है, जिसे बलिया की नगरा पुलिस से तीन अन्य लोगों के साथ दबोचा था। चार अन्य आरोपियों को सिकंदरपुर पुलिस ने पकड़ा था।
गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए रसड़ा क्षेत्र के पुलिस उपाधीक्षक शिवनारायण वैश्य ने बताया कि नगरा पुलिस की एक टीम ने मुलायम चौहान को गिरफ्तार किया है। उसे अंग्रेजी प्रश्न पत्र लीक मामले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। सात अन्य संदिग्ध भी गिरफ्तार किए गए हैं। गिरफ्तार आरोपियों को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा।
वैश्य के मुताबिक, मामले की जांच कर रही पुलिस टीमों ने पहले बलिया के जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) ब्रजेश कुमार मिश्रा और तीन पत्रकारों सहित कुल 26 लोगों को गिरफ्तार किया था। उन्होंने बताया कि डीआईओएस और गिरफ्तार पत्रकारों में से एक अजीत ओझा को बुधवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के बाद न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
वैश्य के अनुसार, पेपर लीक मामले में गिरफ्तार बाकी 24 आरोपियों को बृहस्पतिवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया, जिन्होंने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने बलिया सिटी कोतवाली, नगरा और सिकंदरपुर थाने में तीन अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की है।
वहीं, अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बुधवार को कहा था कि बलिया के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को बुधवार सुबह सूचना मिली कि दूसरी पाली का प्रश्नपत्र लीक हो गया है। इसके बाद मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स को मामले की जांच का आदेश दिया था।