जल्लाद बन बैठा बसखारी वन रेंजर आरबी सोनकर मीडिया को करता है गुमराह
👉 लगभग 5 बीघे जमीन में लगे हरे पेड़ों को बेतहाशा कटवाता रहा
👉वन माफियाओं का संरक्षणदाता बन बैठा है जल्लाद बसखारी वन रेंजर
👉पत्रकारों को देता है अनाप-शनाप बयान और बनता है अनजान
👉आखिरकार डीएम साहब आप किस गहरी नींद में सोये हैं
अंबेडकर नगर- बसखारी थाना क्षेत्र मानों कि श्मशानघाट बन रहा है स्थानीय प्रशासन से लेकर वन रेंजर तक लक्ष्मीनिया के मोह में भ्रष्टाचार के ऐसे दलदल में गोता लगा रहे हैं जहां उनके लिए नियम-कानून, शासनादेश, माननीय न्यायालय का फरमान कोई मायने ही नहीं रखता है। हरियाली रहे ना रहे लोग बेशक बीमारियों से ग्रस्त होकर मर जाएं पर्यावरण पूरी तरह से बर्बाद हो जाए कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी ही नहीं दुनिया की कोई भी महामारी आ जाए लेकिन बसखारी थाना क्षेत्र में न ही भ्रष्टाचार कम होने का नाम लेता है और न ही अपराध चाहे वह स्थानीय प्रशासन से जुड़ा हो या फिर बसखारी वन रेंजर के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र जहां बेतहाशा हरियाली पर आरा चलाया जा रहा है।
बताते चलें कि बसखारी थाना क्षेत्र अंतर्गत स्थित विद्युत उपकेंद्र मकईया के ठीक सामने लगभग 5 बीघे का भूमि पर किस्म-किस्म के बड़े भारी भरकम हरे-भरे दुधारू और फलदार पेड़ों को बेतहाशा काटा जा रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें महज कुछ दिन पहले स्थानीय पत्रकारों की सक्रियता के चलते भंडाफोड़ हुआ था बसखारी पुलिस अपनी नाक बचाने के लिए ट्रैक्टर-ट्राली पर लदी अवैध कटान की लकड़ियां थाने लाई थी लेकिन सारा मामला कुछ ही दिनों में ठंडे बस्ते में लीपापोती करके लक्ष्मीनिया के दम पर रफा-दफा हो गया।
सूत्र बताते हैं कि क्षेत्र में अवैध कटान का यह पूरा गंदा खेल वन माफिया कृष्ण कुमार दुबे उर्फ सोनी और अख्तर खान उर्फ ललाई निवासी मकईया के द्वारा किया जा रहा है और हो भी क्यों न जब स्थानीय प्रशासन और वन विभाग के अधिकारीयों का छत्रछाया इनके सर पर हो। और कुछ तथाकथित पत्रकार जो थानों की चौखट को चुनते हैं और ऐसे घिनौने कार्यों में संलिप्त रहकर पत्रकारिता का धौंस जमाते फिरते हैं।
बीते 5 दिन पहले हरियाली से हरा-भरा भारी भरकम 5 आम के पेड़ों को कटिंग मशीनों से बेतहाशा काट दिया गया जिसकी जानकारी के लिए स्थानीय संवाददाता ने वन रेंजर आरबी सोनकर से जानकारी प्राप्त करना चाहा तो वन रेंजर ने मामले में अनभिज्ञता जताया और देखता हूं कह कर फिर फोन काट दिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई इस अवैध कटान के संबंध में कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया घंटी बस्ती रही किंतु यह जल्लाद फोन उठाना उचित नहीं समझा।
ताजा मामला आज का ही प्रकाश में आया है जो इन्हीं दोनों वन माफियाओं द्वारा मकोईया हैडल के ठीक सामने हरा-भरा भारी भरकम दुधारू बरगद के पेड़ को कटिंग मशीनों द्वारा बेतहाशा काट दिया गया। और जब इस अवैध कटान के बारे में बसखारी वन रेंजर से स्थानीय संवाददाता ने जानकारी करने का प्रयास किया तो आज भी वही राग अलाप रहा यह जल्लाद कहता है कि कहां कट रहा है मुझे नहीं पता है ठीक है देखता हूं कहकर फोन काट दिया और अब फोन की घंटी बज रही है लेकिन उठाने की जहमत नहीं कर रहा। हद तो तब हो गई जब स्थानीय प्रशासन सब कुछ अपनी नंगी आंखों से देख रहा फिर भी अंधेपन का ढोंग कर रहा न ही हरियाली को बचा रहा ना ही जनजीवन को आखिरकार ऐसा क्यों हो रहा है।
सूत्रों की माने तो स्थानीय प्रशासन को इस अवैध कटान के लिए अच्छी खासी रकम मिलती है। पूरा देश ही नहीं पूरा विश्व वन दिवस मनाता है और इस उद्देश्य की देश ही नहीं पूरी दुनिया की हरियाली बरकरार बनी रहे जिससे कोई भयंकर आपदा ना आए और मानव जीवन पर कोई संकट ना छा जाये। प्रदेश की सरकार और केंद्र की सरकार हरियाली को बचाने के लिए न जाने कितनी जतन करती है न जाने कितने भारी-भरकम बजट खर्च करके वन संरक्षण की मुहिम चलाती है किंतु बसखारी थाना क्षेत्र में अब तो सारी सीमाएं पार हो चुकी है अब क्षेत्र में चर्चा का विषय आम हो गया है कि यहां तो एक तरफ बसखारी पुलिस अपनी गुंडई पर उतारू है तो दूसरी तरफ वन रेंजर जल्लाद बन बैठा है।
जिलाधिकारी सैमुअल पॉल एन, पुलिस कप्तान आलोक प्रियदर्शी और जिला वनाधिकारी(डीएफओ) आखिरकार किस गहरी नींद में सोए हुए हैं साहब कम से कम पर्यावरण को नष्ट होने से और मानव जनजीवन पर आने वाले खतरे को ध्यान में रखते हुए अपने शपथ को याद करते हुए देश हित में अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए कार्रवाई के लिए अपनी कलम को चलाएं तो शायद बसखारी क्षेत्रवासियों का भला हो जाए।
क्षेत्रवासियों का कहना है कि ऐसे भ्रष्टाचारी, अत्याचारी, संवेदनहीन धिकारियों को विभाग में रहने की कोई आवश्यकता नहीं है ऐसे लोगों को विभाग से कचरे की तरह निकाल फेंक देना चाहिए और निष्पक्ष जांच एजेंसी से इनके संपत्तियों की जांच करनी चाहिए तो सब कुछ दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।