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भीड़ तो खूब जुटी, वोट कहां हो गए गुम? अखिलेश की सभा से गदगद सपाइयों को नतीजों से लगा झटका

गोरखपुर। वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा जिले की सभी 9 विधानसभा सीटें हार गई थी। यह हाल तब था जब सपा ने कांग्रेस से गठबंधन किया था और पूरे प्रदेश में यह चर्चाएं होने लगी थीं कि लड़के आ रहे हैं। लड़कों से मतलब था कि अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है। हालांकि लड़कों का जादू मतदाताओं पर नहीं चला और दोनों दलों के प्रत्याशी हार गए।

सपा को पिपराइच, सहजनवां, गोरखपुर ग्रामीण और चौरीचौरा में दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी गोरखपुर शहर और कैम्पियरगंज में दूसरे स्थान पर रहे। चिल्लूपार में भाजपा दूसरे स्थान पर रही और खजनी तथा बांसगांव में बसपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे। सपा ने इस बार चुनाव में छोटे-छोटे दलों से गठबंधन किया और सभी को साथ लेकर मैदान में उतरी।

सपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जनसभाओं और रैलियों में खूब भीड़ उमड़ी। सपा नेता यह देखकर गदगद होते रहे और यह सोचकर उनका मनोबल बढ़ता गया कि जातीय गणित को मजबूत करने के लिए छोटे दलों से किया गया गठबंधन कारगर साबित हुआ है। अखिलेश यादव की पिपराइच में जनसभा हो या बड़लहगंज में, या फिर चौरीचौरा और शहर में। भीड़ देखकर सपा नेता और कार्यकर्ता अपने प्रत्याशियों की जीत पक्की मान बैठे और धरातल पर मजबूत होने में लापरवाही कर गए।

उधर, भाजपा के कद्दावर नेताओं मसलन योगी, अमित शाह की रैलियों और सभाएं जहां भीड़ जुटी वहीं पार्टी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मतदाताओं के बीच पैठ बनाई। केंद्र और प्रदेश सरकार की कुछ योजनाओं से भाजपाइयों की मेहनत को बल मिला व सपा को दूसरी बार करारा झटका लगा। सपा के सभी नौ प्रत्याशी चुनाव हार गए। ऐसा दूसरी बार हुआ जब सपा को जिले में एक सीट नहीं मिली। इस चुनाव में सपा हर सीट पर दूसरे स्थान पर रही।

गोरखपुर की सभी नौ विधानसभा सीटों पर समाजवादी पार्टी को लगातार दूसरी बार बड़ा झटका लगा है। सपा प्रत्याशियों ने सभी सीटों पर कांटे की टक्कर दी लेकिन परिणाम ने शीर्ष नेतृत्व के साथ ही साथ स्थानीय नेताओं को भी सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इधर सपा नेता अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की रैलियों-जनसभाओं में उमड़ने वाली भीड़ को देखकर गदगद होते रहे और उधर मतदाताओं में सेंध लगती रही।

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