UP Election Result: स्वामी प्रसाद मौर्य को कैसे भाजपा ने किया चित्त, यह दांव साबित हुआ गेमचेंजर
बड़े बड़े दावों के साथ समाजवादी पार्टी में गए स्वामी प्रसाद मौर्य ना तो सपा को सत्ता में ला पाए और ना ही अपनी सीट जीत के। चुनाव परिणाम में एक ओर जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन का प्रभाव दिखा, वहीं दूसरी ओर स्वामी प्रसाद इस चुनाव में बड़बोले भर साबित हो कर रह गए हैं। आरपीएन ने जिले के सभी सात सीटों में चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी और परिणाम शत प्रतिशत भाजपा के पक्ष में आया। वहीं दूसरी ओर चुनाव से पहले सपा में जाने के बाद स्वामी प्रसाद ने जो दावे किए थे, वह सभी खोखले साबित हुए हैं।
स्वामी प्रसाद ने भाजपा छोड़ने के बाद दावा किया था कि उनके पीछे पूरा ओबीसी व दलित समाज सपा के पक्ष में आ गया है। वह भाजपा को सत्ता से दूर कर देंगे। इसके कुछ ही दिन बाद कांग्रेस से पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह भाजपा में आ गए। उन्होंने केवल इतना ही कहा था कि वह भाजपा में एक आम कार्यकर्ता की तरह जी जान से काम करेंगे। जब पडरौना आए तभी से भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में दिन रात एक कर दिए। उनके पीछे बड़ी संख्या में कांग्रेसी भी भाजपा में आ गए।
पडरौना से कांग्रेस प्रत्याशी भी भाजपा में आ गए और उन्हें भाजपा के टिकट के टिकट पर चुनाव लड़ाया गया। उनका चुनाव संचालन कार्यालय ही आरपीएन सिंह के दरबार में बना। आरपीएन दिन रात इसकी मॉनीटरिंग कर रहे थे। भाजपा नेतृत्व को भी उन पर पूरा भरोसा था। कुशीनगर में केवल फाजिलनगर में ही सीएम योगी की सभा हुई, जबकि उनकी डिमांड सभी विधानसभाओं में थी।
हाटा, रामकोला, खड्डा व कुशीनगर में भी आरपीएन ने ओबीसी मतदाताओं को लामबंद करने में मदद की। देवरिया के रामपुर कारखाना, पथरदेवा तथा देवरिया सदर में भी ओबीसी मतदाताओं को सहेजने के लिए आरपीएन ने रोडशो किया।
कुशीनगर से सटे महराजगंज व गोरखपुर के सीमाई इलाकों में ओबीसी खास तौर से कुर्मी, सैंथवार व पटेल मतदाताओं का लामबंद करने में भी राजनीतक जानकार उनका योगदान बताते हैं। अपने चेले को उनके सामने खड़ा कर जिता लेने के दावे किए मगर ऐसा कुछी नहीं हुआ।