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DRM एस के सपरा ईमानदार छवि को लेकर बने चर्चा का विषय, सी. डी .एम .ई एंव सी.डी.पी.ओ की कार्य प्रणाली से हो रही है बदनामी

ओपी सिंह वैस

उ. रे लखनऊ मंडल रेल प्रबंधक एस के सपरा ईमानदारी छवि को लेकर बने चर्चा का विषय भ्रष्ट यूनियन नेताओं एवं कर्मचारियों में मचा हङकंप, सी. डी .एम .ई एंव सी.डी.पी.ओ की कार्य प्रणाली को लेकर मंडल रेल प्रबंधक की हो रही है बदनामी

लखनऊ / सरकार डाल -डाल तो रेलवे के भ्रष्ट अधिकारी पात-पात। भ्रष्टाचार का नंगा खेल बदस्तूर जारी रेलवे बोर्ड का नियम कानून को ताक पर रखकर एक अधिकारी ने रेल प्रशासन को दिखाया भ्रष्टाचार का आईना, रेलवे प्रशासन बना मूक दर्शक।

प्राप्त विवरण के अनुसार लखनऊ मंडल के यान्त्रिक विभाग में खुलेआम भ्रष्टाचार का नंगा खेल अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्बारा किया जा रहा है और यूनियन -अधिकारी गंठजोङ ने रेल मंत्री एवं प्रधान मंत्री को यह साबित कर दिया कि लखनऊ में यूनियन एवं अधिकारी गंठजोङ के सामने सरकार के कानून बौना साबित हो चुके हैं ।

लखनऊ यांत्रिक विभाग जहां  अधिकारी एवं बाबू कुछ वर्षो में करोङों का मालिक हो जाते हैं। मिली जानकारी के  अनुसार यहां टेंडर होता है जहां ठेकेदार और रेलवे की विजिलेंस मिलकर लाखों रुपये खुद तो हजम करते ही हैं बल्कि अधिकारी और बाबू भी अपना 20%कमीशन अलग से लेता हैl

और इसी अकूत कमाई के चलते कुख्यात एक चर्चित सी डी एम ई पिछले वर्ष तबादला होने पर पैसे के बदौलत अपना तबादला रेलवे  बोर्ड से रोंकवा चुका है और दुबारा फिर तबादला रोंकवाने के लिए एक चर्चित यूनियन नेता के (दगे कारतूस )जिसे कहना  अतिशयोक्ति होगा के दरवाजे पर मत्था टेकना शुरु कर दिया हैl

जिस पर रेलवे बोर्ड का एक अधिकारी भी कृपा बनाये हुए है। जब कि उ. रे लखनऊ मंडल के मंडल रेल प्रबंधक एस के सपरा जो  अपनी ईमानदारी एवं सख्ती  के चलते काफी चर्चित बताये जाते हैं इनके सारे आदेशों  एवं नियमों को दरकिनार करके सी डीएम्ई एवं वरिष्ठ मंडल कार्मिक अधिकारी मनमानी करने में सक्रिय हो  गये हैं।

जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण अभी एक माह पहले एक रेल चालक रिटायर हुआ जो यूनियन का गुर्गा बताया जाता है सरकारी मोबाइल जमा नहीं किया और उसका सारा भुगतान कार्मिक विभाग सांठ गांठ करके कर दिया जिसमें शटलमेंट का एक बाबू की भूमिका अहम बतायी जाती है।

मंडल रेल प्रबंधक ने जांच का आदेश दिया तो उस जांच को रेलवे के अधिकारी लीपा पोती में लग गये ये तो एक छोटा सा उदाहरण है। एक ठेकेदार ने बताया कि अगर ठेके से संबंधित फाईल को निष्पक्ष जांच रेल प्रशासन कराये तो  ये भ्रष्टाचारी देवता जेल की सीखचों के पीछे नजर आयेंगे।

सूत्रों ने बताया कि यहां कागजों में ठेके के नाम पर चलती है टैक्सी,लेकिन चलवाई जाती है कबाङ की  गाङी जितना भुगतान रेल देती है उससे काफी कम पैसों में अधिकारी गाङी चलवा रहें हैं बाकी जेबें गरम कर में व्यस्त हैं।  जबकि इसकी जांच बङौदा हाऊस की विजिलेंस ने वित्त विभाग तक कर चुकी है।

रेलवे यूनियन का एक कार्यकर्ता ने बताया कि यहां लोको निरीक्षक हो या अन्य भ्रष्ट कर्मचारी इनका हर वर्ष रोटेशन का आदेश होता है तो  उसको रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है। ज्ञात है कि लगभग दो तीन वर्ष पहले रेलवे ने कर्मचारियों की हाजिरी लगाने के लिए बायोमेट्रिक्स मशीन भी लगवाई थीl

जिसको कार्मिक विभाग एवं मैकेनिकल विभाग के अधिकारियों ने बायोमेट्रिक्स मशीन को कागजों में दिखाकर रददी की टोकरी में डाल दिया और पैसे  को जेब गरम कर लिया। अगर आपको भ्रष्टाचार का नमूना देखना अथवा सीखना  है तो सीधे मैकेनिकल विभाग से संपर्क करें। बताया जाता है कि रेलवे में लगभग चार दर्जन सरकारी मकान किराये पर चलवाये जा रहे हैं और यूनियन के एक नेता जी का इन भ्रष्टाचारियों पर काफी श्रेय बताया जाता है।  ये सब क्या करते हैं कि रेलवे आवास को कंडम की लिस्ट में डाल देते हैंl

और फिर यूनियन के नेताजी के आदेशा नुसार उनके चहेते किराये पर दे देते हैं और उसको कागजों में खाली दिखाकर सर्टिफिकेट जारी कर देते हैं। जबकि रेलवे बोर्ड का नियम है कि जो कर्मचारी मकान किराये पर देगा तो उसको रेल प्रशासन बर्खास्त कर देगी।

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