”जिंदगी की सांसे”
ए जिंदगी की सांसो कही थमना जाना तुम !
करने को है बाकी बहुत कुछ अभी
तमन्ना है मेरी इस देश में एकता को लाना
धर्मों से भी ऊपर इंसानियत को लाना
ए जिंदगी की सांसो कहीं थम न जाना तुम !
बाकी है अभी युवा पीढ़ी को इस देश का इतिहास बताना सही रास्ते पर लाना सही रास्ता दिखाना
ए जिंदगी की सांसो कहीं थंब ना जाना तुम !
लोगों ने सपना देखा
हिंदुत्व का है देखो
शमीम का है सपना
पूरे भारत को एक करना तुम और आप शब्दों को हटाना
इन दोनों शब्दों को मिलाकर हम शब्द को लाना
ए जिंदगी की सांसो
कहीं थम न जाना तुम!
बची है जिंदगी मेरी बहुत थोड़ी सी अभी ,
करना बहुत कुछ चाहती हूं इस देश के लिए,
ए जिंदगी की सांसो
कहीं थम ना जाना तुम!
ऐ मेरी युवा पीढ़ी
तुम भविष्य कल का
नेक रास्तों पर चलना
नेक रास्ता बनाना
भारत को लेकर देखो अब तुमको ही है चलना
ऐ जिंदगी की सांसो
कहीं थम ना जाना तुम !
ना रुके थे हम ना रुकोगे तुम ए मेरे प्यारे बच्चों तुमको भी आगे बढ़ना
कुछ हमारी पीढ़ी करके जा रही है
बाकी आपको करना
ऐ जिंदगी की सांसो
कहीं थम न जाना तुम !
जीना तो चाहती है
शमीम इस देश के लिए शायद समय बचा नहीं जिंदगी का मेरे लिए
ए जिंदगी की सांसो
कही थम न जाना तुम !
जो कुछ दिया है भारत ने उसको भुला न पाऊंगी शमीम की तमन्ना तो यही है शायद दोबारा आऊंगी
बाकी कर्ज चुकाने
इस देश के लिए
ए जिंदगी की सांसो
कहीं थम न जाना तुम !
लेखिका: मिर्जा शमीम बैग, इंदौर ,
रिटायर पुलिस अधिकारी!