आगामी मंगलवार को महाशिवरात्रि का पावन पर्व काफी धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा।पर्व को मनाने के लिए शिव भक्तों ने मन्दिरों की साफ सफाई के साथ तैयारियां शुरू कर दी है। महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।माना जाता है कि शिव जी इसी दिन शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे और इसी दिन माता पार्वती के साथ उनका विवाह सम्पन्न हुआ था।
भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के विवाह के दिन महाशिवरात्रि पर्व को हिन्दू परम्परा मे बहुत ही अहम माना गया है महाशिवरात्रि के दिन लोग व्रत रखते हैं और पूरे विधि विधान से भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करते हैं तो उन्हें मनचाही फल की प्राप्ति होती है।महाशिवरात्रि के दिन पूजा अर्चना करने से मनुष्य के जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
भगवान भोलेनाथ भोले भंडारी हैं जो एक लोटा जल अर्पित करने से भी प्रसन्न हो जाते हैं।भगवान भोलेनाथ की पूजा सफेद या लाल रंग के वस्त्र धारण कर करनी चाहिए।और रात्रि के चारो प्रहर मे पूजा करनी चाहिए।भोलेनाथ को बेलपत्र अत्यंत प्रिय है इसलिए पूजा के दौरान उन्हें बेलपत्र अवश्य अर्पित करना चाहिए।इस दिन श्री गणेश, कार्तिकेयजी, माता पार्वती के साथ भोलेनाथ की पूजा अर्चना करनी चाहिए।और बैल को हरा चारा अवश्य खिलाना चाहिए क्योंकि बैलरूपी नन्दी जी भगवान शिव को अतिप्रिय हैं।
शास्त्रानुसार सूर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए, काला वस्त्र बिलकुल नहीं पहनना चाहिए और शिवलिंग पर चढाई गई चीजों को नही ग्रहण करना चाहिए।क्योंकि भगवान शिव पर चढाया गया नैवेद्य खाना निषिद्ध है और जो इस नैवेद्य को खा लेता है वह नरक को प्राप्त होता है।
महाशिवरात्रि पर्व पर रात्रि जागरण के बीच चारो प्रहर पूजा अर्चना करते समय प्रथम प्रहर एक मार्च शाम 06:21 से रात्रि 09:27तक ह्रीँ ईशाय नमः के जाप से, दूसरे प्रहर रात्रि 09:27 से 12:33 तक ह्रीं अघोराय नमः जाप से, तीसरे प्रहर 12:33 से सुबह 03:39 तक ह्रीं वामदेवाय नमः जाप से और चौथे प्रहर 03:39 से दो मार्च सुबह 06:45 तक ह्रीं सद्योजाताय नमः के जाप से पूजा अर्चना करनी चाहिए।
चारों प्रहर मे तीसरे प्रहर मे की गई पूजा अर्चना अत्यंत महत्वपूर्ण एवं फलदायी है।सनातन धर्म के अनुसार शिवलिंग स्नान के लिए प्रथम प्रहर मे दूध से, दूसरे प्रहर मे दही से, तीसरे प्रहर मे घृत से और चौथे प्रहर मे मधु से स्नान कराना चाहिए।इस दौरान रात्रि जागरण के साथ साथ शिव पुराण का पाठ, महामृत्युञ्जय मंत्र या शिव के पंचाक्षरी मंत्र ऊँ नमः शिवाय का जाप करना चाहिए।