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हे मातृभूमि

शीर्षक : हे मातृभूमि

लेखिका नूतन राय मुंबई महाराष्ट्र

हे मातृभूमि हे जगजननी,
मै क्या तेरा गुनगान करूं ।
कहाँ से लाऊ शब्द मैं इतने, ज़िसमे तेरा बखान करूं ।।

अति पावन तुम परम पूनिता, तेरी कोख से जन्मी सीता ।
तेरी इस पावन धरती पर ,
जनमें पालनहारी ।
ऋषि मूनि वीरो से भरी है,
माँ ये गोद तुम्हारी ।।

तेरे अभिमान की रक्षा में ,
कुर्बान मैं अपनी जान करूं ।
हे मातृभूमि हे जगजननी ,
मै क्या तेरा गुनगान करूं ।।

गंगा ,जमूना ,सरस्वती,
खेले नित गोद में तेरी ।
तु प्रकृति तु जगजननी ,
तु भारत माता मेरी ।
जब-जब संकट आया तुझपे, रूप बदल कर आए |
राम-कृष्ण बन कर धरती पर, अदभूत खेल रचाए ।।

कोटि-कोटि है नमन तुझे मैं, नितनित तुझे प्रणाम करूं ।
हे मातृभूमि हे जगजननी,

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