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रूस से जंग के बीच यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने PM मोदी से की बात, फिर मदद मांगी

रूसी सैनिक यूक्रेन की धरती पर तबाही मचाते हुए लगातार आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि यूक्रेनी सेना उन्हें किसी भी तरह रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इसी बीच, एक बार फिर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की और अपने देश पर रूस के आक्रमण की जानकारी दी।

जेलेंस्की ने अपने ताजा ट्वीट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है। हमले को नाकाम करने के उपाय की जानकारी दी। हमारी सरजमीं पर 1,00,000 से अधिक हमलावर घुस आये हैं। वह घात लगाकर इमारतों पर हमले कर रहे हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में राजनीतिक समर्थन देने का आग्रह किया। कहा- आइए हमले को मिलकर रोकें।

वहीं, प्रधानमंत्री ने जारी संघर्ष के कारण जान-माल के नुकसान पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने हिंसा की तत्काल समाप्ति और बातचीत के लिए अपने आह्वान को दोहराया और शांति प्रयासों में किसी भी तरह से योगदान करने की भारत ने इच्छा व्यक्त की।

प्रधानमंत्री ने यूक्रेन में मौजूद छात्रों सहित भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए भारत की गहरी चिंता से भी अवगत कराया। उन्होंने भारतीय नागरिकों को तेजी से और सुरक्षित रूप से निकालने के लिए यूक्रेनी अधिकारियों द्वारा सुविधा की मांग की।

मालूम हो कि यूक्रेन संकट पर भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में रूस की निंदा वाले प्रस्ताव पर मतदान नहीं किया था। खबरों के मुताबकि आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को कहा कि भारत ने प्रस्ताव पर मतदान तो नहीं किया है, लेकिन साथ ही देशों की ”संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता” का सम्मान करने का आह्वान भी किया।

उसने ‘हिंसा व शत्रुता’ को तत्काल समाप्त करने की मांग की। सूत्रों ने कहा कि भारत की ये टिप्पणियां रूसी हमले की ”तीखी शब्दों में” आलोचना को दर्शाती हैं।गौरतलब है कि रूस सैनिक यूक्रेन की धरती पर तबाही मचाते हुए लगातार आगे बढ़ रहे हैं।

खबर है कि रूसी फौजी अब राजधानी कीव से कुछ ही दूरी पर हैं। ब्रिटिश विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि रूसी सेना ने कीव की ओर अपनी चढ़ाई जारी रखी हुई है और वे मुख्य शहर के केंद्र से अब 30 किमी से कम दूर हैं।

वहीं यूक्रेन के सशस्त्र बलों ने पूरे देश में रूसी सेना के खिलाफ कड़ा प्रतिरोध जारी रखा है।” इससे पहले ब्रिटेन ने रूस की उन खबरों पर संदेह जताया था जिनमें कहा गया था कि रूसी सेना ने मेलिटोपोल के दक्षिणपूर्वी शहर पर कब्जा कर लिया है।

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