नेक लक्ष्यों को पूरा करने लिए जीवन जीना जीवन है ,नही तो मनुष्य का जीवन पशु के समान है।
सुनीता कुमारी, पूर्णियां बिहार
लक्ष्य साध्य और जीवन साधना है , एक तपस्या है ।उसी साधना और तपस्या को पूरा करने के लिए हमें साध्य अर्थात अपने लक्ष्य को पाने की जरूरत होती है। लक्ष्य शब्द का एक साधारण सा अर्थ यह है कि ,लक्ष्य वह भाव एवं मार्ग है, जो हमें मंजिल तक पहुंचाता है। हर व्यक्ति के जीवन में एक नहीं कई कई लक्ष होते हैं एक के बाद एक उन लक्ष्यों को पूरा करना ही साधना है जीवन है।
इस धरती पर हमें जीवन इसलिए मिला है कि, हम अपने जीवन में अपना उद्देश्य पूरा कर सकें,अपना लक्ष्य पूरा कर सकें। इस सृष्टि में मनुष्य ही नहीं प्रकृति एवं सारे जीव का जन्म ही एक लक्ष्य एक उद्देश्य को पूरा करने के लिए हुआ है। इस सृष्टि को निरंतर पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाना होता है ,और इस दिशा में प्रत्येक जीव का, प्रकृति के हर कंकण का एक लक्ष्य होता है, सृष्टि के उद्देश्य को पूरा करना है।
जैसे एक बीज प्रस्फुटित होकर अंकुरित होता है फिर पौधा बनता है ,फिर पेड़ बनता है ,फिर उस पेड़ की शाखाओं पर फल लगते हैं ,उस फल का उपयोग अन्य जीव करते हैं ,धीरे-धीरे पेड़ बूढ़ा होता है सुख जाता है। उसके बाद उस स्थान पर नया बीज ,उसी पेड़ से गिरा हुआ फिर से अंकुरित होता है, पौधा बनता है, पेड़ बनता है, फल लगते हैं, तो यह प्रक्रिया सृष्टि का लक्ष्य उद्देश्य है और पेड़ उस उद्देश्य को पूरा करने का माध्यम है।पेड़ की तरह यह बात प्रकृति के कण कण पर लागू होती है।
मनुष्य जीवन में, जीवन साधना को पूरा करने के लिए कई लक्ष्य को पूरा करना पड़ता है ।बाल्यकाल एवं युवावस्था तक हमें ज्ञान अर्जन करना होता है ,धन अर्जन का मार्ग अपने जीवन में प्रस्तत करना पड़ता है ताकि ,जब हम पारिवारिक जीवन में प्रवेश करें तो हमें परिवार की सारी जरूरतों को, जिम्मेदारियों को पूरा करने में कोई कमी ना हो, धन की वजह से हमारी जिम्मेदारी आधी अधूरी ना रह जाए ,इस कारण से बाल्यावस्था से युवावस्था तक ज्ञान अर्जन करने पर विशेष बल दिया जाता है।
हमारी जिंदगी का पहला लक्ष्य होता है कि ,हम अपने जीवन में कुछ ऐसा करें ,ऐसी सफलता पाएं ,जिससे हमें हमारे जरूरतों को, हमारे परिवार की जरूरतों को आसानी से पूरा करें ,साथ ही सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक कार्य को पूरा करते हुए अपना जीवन यापन अच्छे से कर सकें।
इन लक्ष्यों को पूरा करने के बाद हमारा प्रवेश सांसारिक जीवन में होता है जहां हमें विवाह बंधन में बंधकर परिवार को आगे बढ़ाना होता है ,सृष्टि के लक्ष्य को पूरा करना होता है ।
स्त्री पुरुष का एक साथ पति पत्नी के रूप में रहना, बच्चे को जन्म देना ,फिर उस बच्चे की परवरिश कर उसे अच्छा जीवन देना ,उसे सत्कर्म ,न्याय प्रिय, एवं लगनशील जीवन देना हमारा लक्ष्य होता है। और यह लक्ष्य हमारा ही नहीं प्रकृति का का भी है ताकि हम हमारी अगली पीढ़ी को अच्छे से अच्छा जीवन दे सके।
इस लक्ष्य को पूरा करता है हमारा उद्देश्य ।इस लक्ष्य को पूरा करने का जो माध्यम, जो रास्ता हम चुनते हैं, उस रास्ते के द्वारा मंजिल तक हमारा लक्ष्य हमें पहुंचने में मदद करता है ।इसलिए जीवन में लक्ष्य का होना अति आवश्यक है। यह हमारा आपका नहीं बल्कि इस सृष्टि इस प्राकृतिक ,ईश्वर का ही आदेश है।
हम पारिवारिक बंधन से जब मुक्त हो जाते हैं तो हमें धार्मिक मार्ग पर चलना होता है ,धर्म कर्म करके अपने जीवन को मोक्ष देना होता है। मोक्ष अर्थात ऐसा कार्य जो हमें इस धरती पर ,धरती से जाने के बाद भी हमें जिंदा रखे । हमारे विचार जिंदा रहे। कुछ ऐसा इस धरती के लिए कर जाए जिससे लोग हमें याद करें।
उपर्युक्त सारे विवरण मनुष्य जीवन के धर्म,कर्तव्य, क्रिया ,कार्य मनुष्य जीवन का उद्देश्य है लक्ष्य है कि ,हम क्यों इस धरती पर आए हैं ।हम इस धरती पर इसलिए आए हैं क्योंकि ,हमें सृष्टि को आगे बढ़ाने हेतु, अपने जीवन को अच्छे से अच्छा बनाने हेतु बहुत सारे कार्य हमें करने हैं। बहुत सारे लक्ष्यों की प्राप्ति हमें करनी है। तभी हमारा मनुष्य जीवन तर्कसंगत और पूर्ण होता है। अन्यथा हमारा जीवन व्यर्थ है मनुष्य होने का कोई मतलब नहीं है।
यदि हम अपनी जिम्मेदारियों से भागते हैं, अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को अच्छे से नहीं निभाते हैं? हम अपने साथ भी किंकर्तव्यविमूढ़ होकर अच्छा नहीं करते हैं? बाल्यावस्था में शिक्षा प्राप्त करने की जगह हम खेल खेलते हैं ?दूसरे अन्य कार्यों में लगे रहते हैं? जिससे हम युवा होते होते एक अच्छा इंसान नहीं बन पाते है?एक अच्छा धन अर्जन का माध्यम नहीं बन पाते है? तो यह हमारी कमजोरी है।हमारे लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में हमारी किंकर्तव्यविमूढ़ता सबसे बड़ा बाधक है।
हमारे समाज में बहुत सारे निराश लोग हमारे आसपास मिल जाते हैं और कई तरह की बातें सुनाते हैं , “उन्होंने काफी पढ़ाई की, बहुत मेहनत किया मगर उन्हें मनलायक नौकरी नहीं मिली ? कोई अन्य व्यक्ति यह कहता हुआ मिलता है कि, हमने व्यवसाय करने में कोई कसर नहीं छोड़ी ,मगर हमें सफलता नही मिली ?
अन्य व्यक्ति जिन्हें ना परिवारिक कार्य में रुचि है और ना ही सामाजिक कार्य में रुचि है और ना ही खुद के प्रति जागरूक हैं ,ऐसे लोग भाषण बहुत देते हैं मगर अपने कर्म पर बिल्कुल ध्यान नहीं देते है ?अपनी सारी कमजोरी दूसरे के सिर पर डाल देते हैं ?
तो ऐसे लोग निश्चिंत ही अपने लक्ष्य को लेकर लापरवाह और उदासीन हीते है।निश्चित ही अपने कर्म में कमी रखते है जिससे इन्हे लक्ष्य नही मिलती। ऐसे लोग लक्ष्य हीन होकर जानवर के समान नशाखोरी करते हैं, ताश खेलते हैं, निंदा शिकायत करते है,लोगों की बुराई में व्यस्त रहते हैं ,या फिर कुछ नहीं हुआ तो क्रिमिनल बन जाते हैं अपराधी बन जाते हैं, और दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं।
ऐसे लक्ष्यहीन मनुष्य किसी जानवर से कम नहीं है। जिनका जीवन में कोई उद्देश्य ही नहीं होता है ,दिशाहीन होकर मात्र जीवन जीते चले जाते हैं? भोजन करना, नशा करना, अय्याशी करना मात्र जीवन का लक्ष्य होता है ?
क्या यह सही है ऐसे लक्ष्यहीन मनुष्य ,मनुष्य कम और पशु ज्यादा ज्यादा होते हैं।
ज्यादा जरूरी है कि प्रत्येक बच्चे को हर माता-पिता के द्वारा बचपन से ही उसका लक्ष्य उसका उद्देश्य की जानकारी बच्चे को देने देनी चाहिए। अच्छा जीवन जीने की प्रेरणा बचपन से ही देने देनी चाहिए। समय-समय पर कर्तव्य बोध का भी ज्ञान कराते रहना चाहिए ताकि बच्चा लक्ष्य से ना भटके अपने जीवन के उद्देश्य से ना भटके।
युवाओ पर भी यह बात लागू होती है ।बहुत सारे युवा बचपन से युवावस्था तक तो सही दिशा में आते हैं, मगर जैसे ही युवावस्था में पहुंचते हैं, घर ,परिवार माता पिता से आजादी मिलती है ,तो दोस्तों साथ के संग ज्यादा समय बिताते हैं ।अच्छी संगति रहती है तो ,अच्छे इंसान बनते हैं और अगर संगति गलत होती है तो बुरे इंसान बन जाते हैं ।
अपना जीवन बर्बाद कर लेते हैं ?ऐसे युवाओं को भी अपने लक्ष्य के प्रति जागरूक कराना इस समाज का ही, परिवार का ही काम है । इस काम के लिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक बुजुर्गों को समर्पित रहना होगा ताकि देश के बच्चे और युवा अपने लक्ष्य से ना भटके।
प्रत्येक माता-पिता को अपने बच्चे में यह देखना जरूरी होगा कि उस बच्चे की खूबी क्या है। उसमें कौन सा विशेष गुण है जिससे वह जीवन में अच्छा कर सकता है। उन गुणों को उकेरकर उन गुणों को सामने लाकर उन्हें ज्ञान देने की व्यवस्था करें ,शिक्षा देने की उनके जीवन को संवारने की व्यवस्था करें ।
हमारा मनुष्य जीवन तभी सफल होगा जब हम अगली पीढ़ी को सही दिशा देंगे ।गलत दिशा में जाने से रोकेगें। यह भी हमारे जीवन का एक लक्ष्य और इसे पूरा करना प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है और इसे हर व्यक्ति को समझना होगा।