UP Election 2022: आखिर क्यों अमित शाह ने मायावती और BSP को बताया मजबूत, समझें BJP का गेमप्लान
,लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रचार अभियान अब चरम पर है। चार चरणों की वोटिंग के बाद बचे हुए तीन फेज के लिए सभी दलों और नेताओं ने पूरी ताकत झोंक दी है। एक तरफ जहां विरोधी दलों के नेता एक दूसरे के लिए बेहद तीखे और चुभने वाले शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं तो इस बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह की ओर से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की तारीफ ने सबको चौंका दिया।
पिछले कुछ सालों में अपने कई दांव और कठिन हालात में चौंकाने वाले नतीजे लाने की वजह से बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले शाह ने आखिर विरोधी दल को मजबूत क्यों बताया? आखिर इसके पीछे उनका क्या गेम प्लान हो सकता है? आइए समझने की कोशिश करते हैं।
अमित शाह के बयान के मायने तलाशने से पहले आइए एक बार फिर आपको याद दिला दें कि उन्होंने कहा क्या है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने एक सवाल के जवाब में कहा, “बसपा ने अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी है।
मुझे विश्वास है कि उन्हें वोट मिलेगा। मुझे नहीं पता कि यह कितनी सीटों में तब्दील होगा लेकिन बसपा को वोट मिलेगा।” शाह ने कहा कि मायावती की जमीन पर अपनी पकड़ है। जाटव वोटबैंक मायावती के साथ जाएगा। मुस्लिम वोट भी बड़ी मात्रा में मायावती के साथ जाएगा।
क्या है बीजेपी का गेम प्लान?
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अमित शाह ने यूं ही बसपा को मजबूत नहीं बताया, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा गेमप्लान है। दरअसल, यूपी चुनाव में कहने को तो चार राष्ट्रीय और कई क्षेत्रीय दल दावेदारी पेश कर रहे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच ही माना जा रहा है।
ऐसे में बीजेपी की कोशिश है कि मुकाबला त्रिकोणीय दिखे, ताकि भाजपा विरोधी दलों का बंटवारा हो सके। यह माना जा रहा है कि बसपा और कांग्रेस को कमजोर आंकते हुए अधिकांश मुस्लिम वोटर्स सपा की ओर जा रहे हैं। यही वजह है कि अमित शाह ने बसपा को मजबूत बताते हुए यह भी कहा कि मुस्लिम वोट भी बसपा को मिल रहा है।
यही हाल जाटव वोटर्स का भी है। जाटव को बसपा का कोर वोटर माना जाता है, इस बार मायावती के मुकाबले में नहीं दिखने की वजह से जाटव मतदाता भी नया ठिकाना तलाश सकते हैं। ऐसे में बीजेपी को आशंका है कि यदि इन्होंने सपा की ओर रुख किया तो नुकसान उठाना पड़ सकता है।
‘त्रिकोणीय मुकाबला चाहती है बीजेपी’
वरिष्ठ पत्रकार सतीश के सिंह कहते हैं, ”मुझे लगता है कि बीजेपी को अहसास है कि यूपी में बाइपोलर चुनाव होने से कुछ मुश्किल हो सकती है, ऐसे में वह चाहेंगे कि मुकाबला त्रिकोणीय हो। सवाल यह भी उठता है कि क्या बीजेपी को यह आशंका है कि मायावती के कोर वोटर्स यदि मूव करते हैं तो वह बीजेपी की तरफ आने की बजाय सपा की ओर जा सकते हैं।
एक सवाल यह भी उठता है कि यदि बीजेपी मायवती की तारीफ करती है तो इससे बसपा को फायदा होगा या नुकसान? यदि बसपा के वोटर्स में यह संदेश जाता है तो कि बीजेपी और बसपा में नजदीकी बढ़ रही है तो ऐसे मतदाता जो बीजेपी को नहीं चाहते, सपा की ओर रुख कर सकते हैं।”
डिफॉल्ट वोट का अखिलेश को फायदा?
सतीश के सिंह कहते हैं कि समाजवादी पार्टी को ‘डिफॉल्ट वोट’ का फायदा हो सकता है। इसका मतलब है कि सपा के कोर वोटर ‘मुस्लिम यादव’ और जो अन्य समुदाय के ऐसे लोग जो सरकार से खुश नहीं है, डिफॉल्ट में अखिलेश की तरफ आ रहे हैं।
कुछ ऐसे दलित मतदाता जिन्हें लग रहा है कि बसपा इस बार निर्णायक स्थिति में नहीं है और वह बीजेपी को पसंद नहीं करते है, वे डिफॉल्ट में सपा की ओर जा सकते हैं। ऐसे में बीजेपी की रणनीति है कि बसपा के वोटर्स हाथी के साथ रहें तो बीजेपी का फायदा है।