जबरन ED दफ्तर ले गए और गिरफ्तार कर लिया, कोर्ट के विटनेस बॉक्स में बोले नवाब मलिक
nawab malik arrest: मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार एनसीपी नेता नवाब मलिक को ईडी ने स्पेशल कोर्ट के समक्ष पेश किया है। इस दौरान विटनेस बॉक्स में पेश किए गए नवाब मलिक ने एजेंसी पर आरोप लगाया कि अधिकारी मेरे घर आए और फिर जबरन ईडी के दफ्तर में ले गए। इसके बाद मुझे समन थमाते हुए कहा गया कि आपको गिरफ्तार कर लिया गया है।
इस दौरान नवाब मलिक का पक्ष रखते हुए अडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि 3 फरवरी, 2020 को दाऊद इब्राहिम कासकर के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। उसे संयुक्त राष्ट्र ने भी ग्लोबल आतंकी घोषित कर रखा है। नारको टेररिज्म समेत तमाम केसों में वह वांछित अपराधी है।
उन्होंने कहा कि दाऊद इब्राहिम ने लोगों से उगाही करके और धमकियां देकर अवैध तौर पर प्रॉपर्टी भी कब्जा रखी हैं। उसकी बहन हसीना पारकर इन संपत्तियों की देखभाल करती रही है। दाऊद अपनी बहन के जरिए अवैध धंधे करता रहा है और संपत्तियां भी बनाई हैं। उन्होंने नवाब मलिक से जुड़े केस का जिक्र करते हुए कहा कि कुर्ला के गोआवाला कंपाउंड की प्रॉपर्टी का मालिकाना हक मुनीरा प्लम्बर और मरियम प्लम्बर के पास रहा है।
यह संपत्ति उन्हें अपने पूर्वजों से मिली थी। उनकी मां और पिता के बाद वह संपत्ति की इकलौती वारिस रह गई थीं। मलिक ने इस संपत्ति को सॉलिडस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी के जरिए खरीदा था। इसका मालिकाना हक नवाब मलिक के परिवार के सदस्यों के पास था।
सरकारी वकील ने बताया- क्या हुई है गड़बड़
सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि मुनीरा ने ईडी के समक्ष बयान में कहा है कि उन्होंने प्रॉपर्टी की पावर ऑफ अटॉर्नी सलीम इशफाक पटेल के नाम पर कराई थी। यह सीमित उद्देश्यों के लिए थी ताकि अतिक्रमण को समाप्त किया जा सके। इस जमीन को बेचने का अधिकार नहीं दिया गया था। उन्होंने कहा कि सरदार शाह वली खान को पावर ऑफ अटॉर्नी नहीं दी गई थी।
मुनीरा ने आरोप लगाया कि नवाब मलिक और हसीना पारकर उनकी जमीन कब्जाने की कोशिश करते रहे हैं। मलिक ने 55 लाख रुपये का टोकन अमाउंट दिया था। इसमें से 5 लाख रुपये की रकम चेक के जरिए दी गई थी। इस तरह से अपराध की शुरुआत की गई थी। अनिल सिंह ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के उल्लंघन के तमाम सबूत हमारे पास हैं।
नवाब मलिक के वकील बोले- केस कमजोर, पर रिमांड एप्लिकेशन 35 पेज की
नवाब मलिक का पक्ष रख रहे वकील अमित देसाई ने कहा कि ईडी ने 35 पेज की रिमांड एप्लिकेशन तैयार की है। उनके पास इसकी पूरी डिटेल है, लेकिन केस की पूरी डिटेल नहीं है। उन्होंने कहा कि सारे ट्रांजेक्शंस 1999 से 2003 के बीच हुए थे। लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2005 में ही बना था। उन्होंने कहा कि यह केस उतना जटिल नहीं है, जितना ईडी ने बनाने का प्रयास किया है।