Ayodhya

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी बन अवैध वसूली प्रकरण में सीएमओ की चेतावनी को लेकर उठ रहे सवाल

  • मालीपुर समेत 8 बाजारों में बोलोरो सवार कर्मियों द्वारा झोलाछाप डाक्टरों व मेडिकल स्टोरों से वसूली का मामला

  • वाहन और क्यूआर कोड की जांच न कराकर विभागीय चेतावनी में सिमट कर रह गया है निर्देश

अम्बेडकरनगर। जिले के जलालपुर तहसील अन्तर्गत मालीपुर, सुरहुरपुर, धौरूआ, खजुरी, सलहदीपुर, नेमपुर धौरूआ व गुवापाकड़ आदि क्षेत्रों में बोलोरो सवार जिस पर उत्तर प्रदेश सरकार लिखा हुआ था,बैठे अपने को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी बताकर झोलाछाप डॉक्टरों व मेडिकल स्टोरों से अवैध वसूली किये जाने के मामले को नवागत सीएमओ ने संज्ञान लेकर जांच कराया किन्तु उस वाहन पर कौन थे यह रिपोर्ट में नहीं आया बल्कि खबरों से इतर उनके द्वारा एक चेतवानी जारी की गयी है जिसे लेकर आमजन में चर्चा का विषय बन गया है।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों उक्त बाजारों में एक बेलोरो जिस पर लगभग 3 लोग सवार थे और उनके द्वारा जगह-जगह मेडिकल स्टोरों व झोलाछाप डाक्टरों के यहां रूक कर कहा गया कि शिकायत मिली है कार्यवाही होगी नहीं तो इसके एवज में सुविधा शुल्क दीजिए। इससे घबराये कुछ मेडिकल स्टोर और झोलाछाप डाक्टरों ने उन्हें नगद के रूप में एक से दो हजार रूपये दे दिया था और जिन्होंने यह कहा कि अभी नगद नहीं है उन्हें कथित स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने एक क्यूआर कोड उपलब्ध कराया। बताया जाता है कि इस क्यूआर कोड पर कुछ लोगों ने धनराशि भी भेजी है क्यूआर कोड को स्कैन करने पर दिनेश यादव नाम आना बताया जा रहा है। इस मामले में विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर को संज्ञान लेते हुए नवागत सीएमओ ने जांच करायी जिसमें उनके द्वारा पत्रांक मुचिअ./अपंजी./झोलाछाप/2025-26/208 के आदेश में कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग की सेवा प्रदाता माध्यम से अनुवंधित वाहनों से कतिपय व्यक्तियों द्वारा अप्रशिक्षित एवं अपंजीकृत चिकित्सकों की जांच की जा रही है तथा रिश्वत की धनराशि नगद न होने की दशा में क्यूआर कोड से वसूली की जा रही है। उक्त को दृष्टिगत रखते हुए पूर्व में निर्गत समस्त आदेशों को निरस्त करते हुए विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया जाता है कि वे किसी भी निजी चिकित्सालय/नर्सिंगहोम/क्लीनिक/अपंजीकृत चिकित्सकों और सम्बंधित किसी भी प्रतिष्ठान का निरीक्षण नहीं करेंगे विषम परिस्थितियों में यदि कोई जांच की आवश्यकता होती है तो अधोहस्ताक्षरी के लिखित अनुमति के बाद ही जांच की जायेगी तथा जांच में जाने से पूर्व कार्यालय में उपलब्ध निरीक्षण पंजिका/मूमेंट रजिस्टर में अंकित करते जायेगें। उक्त आदेश का कड़ाई से पालन किया जाए। उक्त चेतावनी या निर्देश से यह साफ जाहिर है कि नवागत सीएमओ और उनके मातहत अधिकारियों ने वसूली करने वाला वाहन और उस पर सवार लोग जो अपने को अधिकारी कर्मचारी बता रहे थे उसकी गहराई तक न जाकर यह महज एक लीपापोती की कार्यवाही की गयी है। इसे लेकर लेगों का कहना है कि कही न कहीं यह विभाग की मिलीभगत से अवैध वसूली का कारोबार अपने को अधिकारी व कर्मचारी बताकर लोग कर रहे थे। मामला मीडिया की सुर्खियों में आने के बाद पूरा प्रकरण रफा-दफा कर दिया गया।

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