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हवन के दौरान क्यों बोलते हैं स्वाहा? जानें इसके पीछे की रोचक कथा

नई दिल्ली: कोई भी धार्मिक अनुष्ठान हवन के बिना पूरा नहीं होता है. साथ ही हवन में दी गई आहुति स्वाहा के बिना पूरी नहीं होती है. हवन की परंपरा बहुत पुरानी है. हवन में आहुति देने के क्रम में स्वाहा बोला जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर प्रत्येक आहुति पर स्वाहा शब्द क्यों बोला जाता है? साथ ही इसे बोलना क्यों जरूरी माना जाता है? यदि नहीं, तो चहिए जानते हैं इस बारे में.

स्वाहा बोलने के पीछे क्या है कथा?

पौराणिक कथा के अनुसार स्वाहा प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं. स्वाहा की शादी अग्नि देव के साथ हुई. मान्यता है कि अग्नि देव अपनी पत्नी स्वाहा के माध्यम से ही समिधा ग्रहण करते हैं. इसके अलावा दूसरी कथा है कि स्वाहा के पावक, पवमान और शुचि नामक 3 पुत्र हुए. भगवान कृष्ण ने स्वाहा को वरदान दिया था कि उनके नाम से ही देवता हविष्य ग्रहण करेंगे. यही कारण है कि हवन के दौरान स्वाहा बोला जाता है.

-ऋगवेद के मुताबिक हवन का संबंध अग्नि देव से है. अग्नि देव की पत्नी का नाम स्वाहा है. स्वाहा का अर्थ है आहुति का सही रीति से अग्नि में पहुंचना. हवन के दौरान स्वाहा बोलते हुए अग्नि में समिधा डाली जाती है. ताकि वे देवताओं तक पहुंच सके. -ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कोई भी यज्ञ तब तक पूरा नहीं होता है जब तक हवन का ग्रहण देवता ना कर लेते हैं. हवन सामग्री को देवता तभी ग्रहण करते हैं तभी ग्रहण करते हैं जब अग्नि में आहुति डालते स्वाहा बोला जाता है.

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