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आखिर क्यों अखिलेश ने बनाया चाचा शिवपाल को पार्टी का स्टार प्रचारक, जानिए अंदरूनी कहानी

ममता त्रिपाठी/नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) में तीसरे चरण के मतदान के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल सिंह यादव को पार्टी का स्टार प्रचारक बनााया है.

यही नहीं चाचा शिवपाल को हेलीकाप्टर भी दिया जा रहा है ताकि वो बाकी चार चरणों में प्रचार कर सकें. ऐसी क्या वजहें पैदा हो गईं कि अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को चाचा शिवपाल को स्टार प्रचारक बनाना पड़ा. आइए इसके बारे में आपको अंदर की बात बताते हैं…

अक्टूबर 2016 में पार्टी में वर्चस्व को लेकर चाचा भतीजा में मंच पर झगड़ा हुआ जिसको सारी दुनिया ने देखा था. उसके बाद शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) ने 2017 विधानसभा चुनाव से पहले प्रगतिशील समाजवादी (प्रसपा) पार्टी का गठन किया था. लेकिन 2022 के चुनावों में शिवपाल सिंह यादव ने भतीजे के साथ फिर हाथ मिला लिया और सपा गठबंधन में शामिल हो गए.

हालांकि अखिलेश ने शिवपाल यादव की पार्टी को सिर्फ एक सीट दी जिसके चलते प्रसपा के सारे पदाधिकारियों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया.अपने खुद के राजनीतिक भविष्य को देखते हुए कई नेता अलग-अलग पार्टियों में शामिल हो गए जैसे इटावा सदर से सांसद और विधायक रहे रघुराज सिंह शाक्य और लखनऊ के बड़े ब्राह्मण नेता शारदा प्रताप शुक्ला ने भाजपा का दामन थाम लिया.

इसी तरह शादाब फात्मा ने बसपा ज्वाइन की और बसपा के ही टिकट पर जहूराबाद से ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ चुनाव भी लड़ रही हैं. ये तीनों ही नेता प्रसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे.

सोशल मीडिया पर अखिलेश हुए ट्रोल

आपको बता दें कि इटावा में चुनाव रथ पर मुलायम सिंह यादव और शिवपाल के सवार होने के बाद से ही सोशल मीडिया पर अखिलेश को काफी ट्रोल किया गया कि चाचा को बेइज्जत किया जा रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मैनपुरी की जनसभा में मंच से पांच मिनट तक इसी मुद्दे पर बोले थे.

प्रधानमंत्री मोदी ने भी चुनावी मंचों से इस बाबत खुल कर बोला था. इसके बाद सपा के रणनीतिकारों ने इस बात को समझा कि पिछली बार भी घर के झगड़े की वजह से पार्टी को काफी नुकसान उठाना पड़ा था इसलिए शिवपाल यादव को स्टार प्रचारक की सूची में शामिल किया गया.

संगठनात्मक क्षमता के धनी हैं शिवपाल

साथ ही साथ ये बात अखिलेश और उनकी टीम को भी पता थी कि चाचा शिवपाल सिंह यादव की संगठनात्मक क्षमता काफी अच्छी है, खासतौर से पूर्वांचल में काफी उम्मीदवार उन्हें अपने यहां प्रचार के लिए बुला रहे थे. बनारस, गाजीपुर, बलिया, गोंडा, सीतापुर और फैजाबाद के उम्मीदवार शिवपाल का कार्यक्रम अपने यहां लगवाना चाहते थे.

शिवपाल को स्टार प्रचारक बनाने के पीछे पार्टी में चल रहे भीतरघात को भी रोकना है. खासतौर से पूर्वांचल में कई नेता जिनको टिकट नहीं मिला है वो अंदर ही अंदर दूसरी पार्टी को समर्थन दे रहे हैं.

तैयार हुई प्रचारकों की नई सूची

इस तरह की बातों पर भी लगाम लगाने की मंशा से प्रचारकों की नई सूची तैयार की गई है. शिवपाल सिंह यादव के सामने पहली चुनौती लखनऊ की सरोजनी नगर सीट पर है जहां 23 फरवरी को चुनाव है और वहां शिवपाल यादव के पुराने साथी शारदा प्रताप शुक्ला सपा को नेस्तनाबूत करने की बातें कर रहे हैं. आपको बता दें कि सरोजनीनगर सीट पर राजेश्वर सिंह भाजपा के प्रत्याशी हैं और उनका मुकाबला सपा के अभिषेक मिश्रा से है.

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