बाबा चौबाहे धाम पर श्रीराम वन गमन कथा में भाव विभोर हुए श्रद्धालु
अंबेडकरनगर। जलालपुर तहसील के कुलहिया पट्टी स्थित बाबा चौबाहे धाम पर चल रही सरस संगीतमयी श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ में बुधवार को कथा व्यास त्रिवेनी कल्याण सारस्वत और बैशाली किशोरी ने राम वन गमन की कथा का मार्मिक वर्णन किया तो श्रद्धालु भावुक हो गए। कथा व्यास ने कहा कि चारों पुत्रों का विवाह होने के बाद राजा दशरथ ने श्रीराम को अयोध्या का राजा बनाने का निर्णय लिए। यह समाचार सुन नगर में खुशियां मनाई जाने लगीं। इसी बीच महारानी कैकेयी ने राजा दशरथ से राम को चौदह वर्ष वनवास का वर मांग लिया। पिता की आज्ञा पाकर भगवान राम ने जब भाई लक्ष्मण व पत्नी सीता के साथ वन के लिए प्रस्थान किया तो पूरी अयोध्या नगरी उनके पीछे-पीछे चल पड़ी जिन्हें राम ने वापस किया। जब भगवान राम गंगा नदी पार करने के लिए उसके तट पर पहुंचे तो यह खबर सुनते ही निषाद राज गुह्य खुशी से फूले नही समाए। उन्हें नदी के पार उतारा। जब भगवान राम उतराई के तौर पर निषाद को मां सीता की अंगूठी देने लगे तो निषाद राज ने कहा कि हे भगवान जिस तरह मैने आपको नैया से गंगा के इस पार उतारा है, उसी प्रकार आप मेरी भी नैया को भवसागर से उस पार लगा लेना। इधर पुत्र विक्षोह से व्याकुल होकर राजा दशरथ ने अपने प्राणों का परित्याग कर दिया। रामवन गमन की कथा सुन श्रद्धालुओं की आंखे भर आईं। कार्यक्रम से पहले यजमान राज नारायण शर्मा ने कथा व्यास को आसान पर बैठाया। अमिताभ शर्मा, ब्रह्मदेव शर्मा, पंकज शर्मा समेत अन्य व्यवस्था में जुटे रहे।