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UP Election: पूर्वांचल में बिखर रहा समाजवादी पार्टी का गैर यादव ओबीसी गठबंधन! जानें क्‍या है पूरा मामला

नई दिल्‍ली/लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) में पहले दो चरण का मतदान हो चुका है. वहीं, इस वक्‍त पूर्वांचल (Purvanchal) की राजनीति चरम पर है. हालांकि समाजवादी पार्टी(Samajwadi Party) का गैर यादव ओबीसी गठबंधन पूर्वांचल में बिखर रहा है. दरअसल इस इलाके में सपा के सहयोगी दल सीटों के बंटवारे को लेकर बेहद नाराज हैं.

यही नहीं, सपा गठबंधन की सहयोगी पार्टियों के नेताओं ने यूपी पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) पर वादों से मुकरने का आरोप भी लगाया है.बता दें कि पूर्वांचल में सपा ने संजय चौहान, केशव देव मौर्य, ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) और कृष्णा पटेल के राजनीतिक दलों से चुनावी समझौता किया है.

जानें क्‍यों बिखर रहा गैर यादव ओबीसी गठबंधन

सूत्रों के मुताबिक, सपा ने एक ओर जहां संजय चौहान के एक भी प्रत्याशी को टिकट न देते हुए उल्टे दारा सिंह चौहान को पार्टी में शामिल कर लिया. बता दें कि सिंह भाजपा की योगी सरकार में मंत्री थे, लेकिन चुनाव से पहले उन्‍होंने पाला बदल लिया. वह सपा के साथ हो गए. इसके अलावा महान दल के चीफ केशव देव मौर्य बमुश्किल अपने बेटे और पत्नी को ही टिकट दिला पाए हैं.

यही नहीं, ओमप्रकाश राजभर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. उनसे 18 सीटों का वादा किया गया जिसके बाद राजभर ने सपा को अपना समर्थन दिया था. अब ये हालत हैं कि खुद उनकी सीट जहूराबाद में समाजवादी पार्टी की वरिष्ठ नेत्री शादाब फातिमा अड़ी हुई हैं, जो कि बसपा के टिकट पर मैदान में हैं. इस तरह से राजभर की दिक्‍कत और बढ़ गयी है.

इसी तरह कृष्णा पटेल जो अपना दल कमेरावादी की अध्यक्ष हैं और जिन्हें खुद अखिलेश यादव सार्वजनिक तौर पर पटेल राजमाता सम्बोधित कर चुके हैं. हालांकि एक बैठक में प्रतीकात्मक रूप से उन्हें सेन्ट्रल चेयर देकर बड़ा सन्देश दिया था, लेकिन उनकी भी 16 सीटों पर सहमति बनने के बावजूद कुल पांच प्रत्याशियों के नाम घोषित किए गए हैं.

उनमें से तीन पर भी समाजवादी पार्टी ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं.सपा की खुल रही कई कुल मिलाकर अखिलेश यादव द्वारा पिछड़े वर्ग को साथ लेकर चलने की जो बात की जा रही थी उसकी कलई खुलने लग गई है. यही नहीं, पिछड़े वर्ग के इन नेताओं के साथ किया जा रहा व्यवहार पूर्वांचल में समाजवादी पार्टी का पूरा खेल खराब कर सकता है.

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