समन्वयवाद की शिक्षा देने वाले संत रविदास भक्ति परंपरा के शिरोमणि संत है – प्राचार्य डॉ.शीतला प्रसाद वर्मा
अम्बेडकरनगर : कृष्ण करीम राम हरि राघो, जब लग एक नहि पेंख्या । वेद कतेब कुरान पुराननि , सहज एक नहि देंख्या ।। ऐसी समन्वयवाद की शिक्षा देने वाले संत रविदास भक्ति परंपरा के शिरोमणि है । उक्त विचार बाबा बरुआ दास स्नातकोत्तर महाविद्यालय, परुइया आश्रम अंबेडकर नगर में संत रविदास जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. शीतला प्रसाद वर्मा ने व्यक्त किया ।
मुख्य अतिथि उपप्रबन्धक श्री पूर्णमासी यादव जी ने संत रविदास के विचारों को जीवन में उतारने के लिए प्रेरित किया । आयोजन समिति के सदस्य डॉ. रमेश कुमार ने संत रविदास के कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें अस्मितावादी चेतना का उद्भावक बताया। आयोजन समिति के सदस्य डॉ. चंद्रकेश कुमार ने भी उन्हें कुरीतियों की भावना से विरहित एक समदर्शी समाज की चेतना का शिल्पी महान संत बताया ।
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित महाविद्यालय के मुख्य नियंता डॉ. के. के. मिश्र ने ‘संत रविदास का जीवन परिचय’ विषयक अपना सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। विशिष्ट वक्ता के रूप में हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार मिश्र ने संत रविदास जी के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे निवर्तमान प्राचार्य डॉ. मोतीलाल वर्मा ने संत रविदास को रूढ़ि-भंजक बताते हुए स्पष्ट किया कि संत रविदास सामाजिक समरसता एवं समतावादी विचारों से युक्त एक महामानव थे।
इस अवसर पर परास्नातक की छात्रा दर्शिका सिंह ने संत रविदास के रचना ‘ प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी ‘ का भावपूर्ण गायन किया । समारोह की गतिविधियों का संचालन का दायित्व आयोजन सचिव डॉ. सत्येंद्र कुमार यादव ने निभाते हुए उन्हें सामाजिक सद्भाव का अग्रदूत बताया । स्वच्छता, सज्जा एवं व्यवस्था के गुरुतर दायित्व का निर्वहन राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवियों ने किया ।
समारोह में डॉ0 अमरनाथ, डॉ0 अंजू तेवतिया, डॉ0 अखिलेश पाण्डेय, डॉ0 सुशील त्रिपाठी, डॉ0 राजितराम, डॉ0 पवन कुमार दूबे, डॉ0 सुधीर पाण्डेय, डॉ0 रणतीज सिंह, श्रीमती अंशू सिंह, सुश्री दीप्ति पटेल, सुश्री साबरीन, सुश्री शिवांगी सिंह आदि प्राध्यापकों एवं शिक्षेत्तर कर्मचारियों तथा 110 छात्र–छात्राओं की गरिमामयी उपस्थिति रही ।