NR मंडलः वाणिज्य विभाग के कर्मचारियों के स्थानान्तरण में खेल, यूनियनों के भ्रष्ट नेता पास,जिम्मेदार अफसर फेल
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रेलवे स्टेशन अकबरपुर के आरक्षण लिपिक समेत कई कर्मचारियों पर नहीं चली विभाग की तबादला नीति
लखनऊ। उत्तर रेलवे मंडल के वाणिज्य विभाग में जमकर खेल हुआ है। भ्रष्टाचारियों पर अधिकारियों की रही मेहरबानी रही। आम कर्मचारियों के तबादले में खुलेआम शोषण किया गया। काननू व्यवस्था लाचार हो गयी है।
जानकारी के अनुसार गत पिछले माह मंडल के वाणिज्य विभाग में आरक्षण सुपरवाइजर एवं बुकिंग क्लर्कों का पीरियाडकली तबादला रेल प्रशासन द्धारा किया गया जो हर वर्ष समय-समय पर रेलवे के वाणिज्य विभाग द्धारा किया जाता है जो कर्मचारी 3 या 4 वर्ष एक स्टेशन पर कार्य कर चुका होता है तो उसको दूसरे स्टेशन पर तैनात करने का नियम है.
लेकिन यहां यूनियनों के नेता एवं वाणिज्य विभाग के अधिकारी खुलेआम मनमानी रवैया अपनाये हुए हैं और इस तबादला नीति में खुलेआम कानून की धज्जियां उङायी गयी।
कहा तो यहां तक जाता है कि इन कामरेडों एवं कांग्रेस समर्थक यूनियनों के नेताओं ने जो भाजपा समर्थक कर्मचारी थे उनका तबादला वाराणसी से लेकर बाहरी स्टेशनों पर करवा दिया और जो भ्रष्टाचारी कर्मचारियों की फौज है उनका तबादला लखनऊ एवं आस-पास के स्टेशनों पर किया गया। आखिर ऐसा क्यों?
एक अधिकृत सूत्र ने बताया कि उदाहरणार्थ अकबरपुर स्टेशन पर तैनात एक चर्चित आरक्षण लिपिक जो टिकट माफिया के नाम से जाना जाता है, के खिलाफ दर्जनों बार शिकायत हो चुकी है लेकिन वह उत्तरीय रेलवे मजदूर यूनियन का डेलीगेट बताया जाता है और वह अकबरपुर का निवासी है। करोङों रुपये का अवैध संपत्ति बना चुका है जिसकी जांच विचाराधीन बतायी जाती है। उसका बाल-बांका तक नहीं हुआ अब मंडल की सीडीसीएम रेखा शर्मा की भूमिका संदिग्ध बतायी जा रही है।
इसके साथ ही साथ कार्मिक विभाग के अधिकारी भी दोषी बताये जा रहे हैं। इसके बाद आइए मंडल आफिस के कार्मिक विभाग की तरफ चलते हैं जहां प्रशासन यूनियनों के दबंग एवं भ्रष्ट नेता चला रहे हैं। रेलवे के एक सूत्र ने बताया की गत पिछले माह कार्मिक विभाग में हित निरीक्षक जिनका पद संख्या-10-11 सृजित है।
बताया जाता है विभागीय कर्मियों से भरा जाना है एक वरिष्ठता सूची प्रकाशित की गयी है जिसमें इन भ्रष्ट नेताओं के खास चहेतों का ही नाम लिस्ट में प्रकाशित किया है। सबसे मजे की बात तो ये है कि अयोध्या कैंट के एक भी कर्मचारियों का नाम सूची में नहीं है। सूत्र ने बताया कि हम लोगों को नियमानुसार हितनिरीक्षक की विभागीय परीक्षा में शामिल होने से रोंका गया है जो अन्याय है।
सबसे मजे की बात तो ये है हित निरीक्षक की भर्ती प्रक्रिया पहले से ही विवादित रही है और लखनऊ से प्रकाशित प्रतिष्ठित इस समाचार पत्र ने पिछले वर्ष प्रमुखता से खबर प्रकाशित किया था और फिर परीक्षा निरस्त कर दी गयी थी। इस संबंध में जब संवाददाता ने वाणिज्य विभाग के सीडीसीएम से संपर्क करने का प्रयास किया तो उनके द्वारा काल रिसीव नहीं किया गया।