राजभर Vs राजभर; जानें कौन हैं कालीचरण जो ओपी राजभर के लिए बढ़ा सकते हैं मुश्किलें
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने शनिवार को पूर्वांचल की 9 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया। बीजेपी ने सपा गठबंधन के साथी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ भी उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है।
बीजेपी ने ओपी राजभर के खिलाफ कालीचरण राजभर को टिकट दिया है, जो हाल ही में समाजवादी पार्टी से ही भगवा कैंप में आए हैं। सूत्रों के अनुसार ओपी राजभर को कालीचरण राजभर कड़ी टक्कर दे सकते हैं। हालांकि यूपी की ज्यादातर सीटों पर भी सपा और भाजपा में ही जबरदस्त टक्कर देखने को मिल रही है।
दिसंबर में सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे कालीचरण राजभर
ओपी राजभर के सामने भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी कालीचरण दो महीने पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने सपा को छोड़कर 12 दिसंबर को ही भाजपा की सदस्यता ली थी। कालीचरण जहूराबाद से सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के खिलाफ लगातार दूसरी बार मैदान में हैं। इससे पहले वह सपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं उस समय ओपी राजभर भाजपा के साथ गठबंधन में थे।2002 में बसपा की टिकट पर पहली बार प्रत्याशी बने थे कालीचरण
जहूराबाद विधानसभा सीट से भाजपा की टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे कालीचरण 2002 में बसपा की टिकट पर पहली बार चुनाव लड़े थे और जीतकर विधायक भी बने थे। इसके बाद कालीचरण ने 2007 में एक बार फिर बसपा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल करने में सफल रहे।
दो बार से विधायक रहने के बाद वह बसपा के सिंबल पर 2012 और 2017 का चुनाव लड़े लेकिन कम अंतर से हार गए। 2012 में शादाब फातिमा ने उन्हें हराया तो 2017 में भाजपा और सुभासपा के गठबंधन के ओमप्रकाश राजभर से हारे। चुनाव में कालीचरण दूसरे स्थान पर रहे थे। इसके बाद वह बसपा का दामन छोड़कर सपा में चले गए।
ओपी राजभर के सपा से गठबंधन के बाद कालीचरण ने छोड़ी थी पार्टी
फरवरी 2020 में पूर्व एमएलसी काशीनाथ यादव के सहयोग से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिले और कालीचरण ने सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। उस समय कालीचरण ने अपना भविष्य सपा में होना बताया था, लेकिन वह ज्यादा दिन तक सपा में नहीं रह सके। जैसे ही सुभासपा के अध्यक्ष ओपी राजभर का सपा से गठबंधन हुआ तो कालीचरण नया ठिकाना तलाशने लगे। कालीचरण को अपना भविष्य अब भाजपा में दिखाई देने लगा था।