दलित से पट्टे के नाम पर लेखपाल धर्मेन्द्र यादव पर रिश्वत लेने का आरोप
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दलित से पट्टे के नाम पर लेखपाल धर्मेन्द्र यादव पर रिश्वत लेने का आरोप
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पीड़ित ने सम्पूर्ण समाधान दिवस में शिकायती पत्र देकर की जांच एवं कार्यवाही की मांग
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मामला जलालपुर क्षेत्र के साहबतारा के रहने वाले दलित अच्छेलाल पुत्र जीवतराम का
जलालपुर, अंबेडकरनगर। अनुसूचित जनजाति के भूमिहीन व्यक्ति से जमीन के पट्टे के नाम पर पंद्रह हजार रूपये लेने के बावजूद पट्टा देने में आना-कानी करते हुए उस पर मुंह बंद रखने के लिए दबाव बनाते हुए हमला भी करवाया गया। प्रकरण जलालपुर तहसील क्षेत्र के साहबतारा निवासी अच्छेलाल पुत्र जीवतराम का है। अच्छेलाल ने संपूर्ण समाधान दिवस में शिकायत करते हुए प्रार्थना पत्र देकर आरोप लगाया कि तहसील में कार्यरत लेखपाल धर्मेंद्र यादव द्वारा 3 वर्ष पूर्व जमीन का पट्टा दिलाने के नाम पर उससे व एक अन्य सहयोगी हरिहर से पंद्रह-पंद्रह हजार रूपये लिए गए थे। रुपए लेने के बाद पट्टे के नाम पर उसे उसी जमीन छप्पर टीन आदि रखकर आवास बनाने हेतु कहा गया जिस पर वह पिछले 50 वर्षों से निवास कर रहा था किंतु जमीन के पट्टे से संबंधित कोई भी कागजात मुहैया नहीं करवाए गए। वर्तमान समय में वह जमीन नगर पालिका परिषद के विस्तारित क्षेत्र में आ गई है। पैसे देने का बाद भी कागज ना मिलने पर पीड़ित द्वारा लगातार कागज की मांग की गई जिससे परेशान होकर बीते 6 दिसंबर को लेखपाल द्वारा अन्य लोगों के साथ हमला बोल दिया गया तथा पूरे परिवार के साथ मारपीट की गई। अब नगर पालिका परिषद द्वारा भी उक्त जगह को खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है। उक्त घटना से परेशान पीड़ित द्वारा बीते तीन फरवरी को संपूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर प्रार्थना पत्र देते हुए न्याय की मांग की गई थी जिस पर संज्ञान लेते हुए शासन की तरफ से मामले की जांच हेतु लेखपाल रजनीश वर्मा को निर्देशित किया गया था। अपनी निस्तारण रिपोर्ट में पीड़ित के सारे आरोपों को नजरअंदाज करते हुए संबंधित जांच अधिकारी रजनीश वर्मा द्वारा केवल पीड़ित के वर्तमान निवास स्थान की पुष्टि करते हुए उसके आवास हेतु नगर पालिका एक्ट के अनुसार नगरपालिका परिषद द्वारा पात्रता की जांच करते हुए कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है। इसके अतिरिक्त पट्टे की जमीन के नाम पर पैसे वसूलने जैसे संगीन आरोप तथा सरकारी पद पर रहते हुए किसी के घर जाकर हमला करते हुए मारपीट करने की बात को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया है। इस प्रकार के विरोधाभासी निस्तारण रिपोर्ट के चलते शासन की महत्वकांक्षी संपूर्ण समाधान दिवस जैसी एकीकृत व्यवस्था से अब आम जनता की उम्मीदें भी टूटती दिखाई पड़ रही है। इस संबंध में जब जिलाधिकारी से दूरभाष पर बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन रिसीव नहीं हुआ।