Petrol-Diesel Price : विधानसभा चुनावों के बाद ढीली होगी जेब, आसमान पर पहुंच जाएंगी पेट्रोल-डीजल की कीमतें
नई दिल्ली. लगातार बढ़ रही महंगाई के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी आपकी जेब ढीली करने वाली हैं. अभी पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के कारण कीमतें नहीं बढ़ रही हैं, लेकिन इसके बाद पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने तय हैं.
कमोडिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों के खत्म होने के बाद देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी तेजी आ सकती है.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 93 डॉलर पहुंच गई है, लेकिन देश में दिवाली के बाद से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. तब कच्चे तेल की कीमत करीब 80 डॉलर प्रति बैरल के आसपास थी.
इसके बाद से इसमें करीब 13 डॉलर प्रति डॉलर की बढ़ोतरी हो चुकी है, लेकिन देश में पेट्रोल-डीजल की कीमत स्थिर बनी हुई है. इस कारण सरकारी तेल कंपनियों को प्रति लीटर आठ से 10 रुपये का नुकसान हो रहा है.
इसलिए नहीं बढ़ रही हैं कीमतें
अभी देश में पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में सरकार पेट्रोल-डीजल की कीमत बढ़ाकर मतदाताओं को नाराज करने का जोखिम नहीं ले सकती है. देश में पेट्रोल-डीजल की बिक्री में सरकारी कंपनियों की 90 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी है.
लगातार महंगा हो रहा है क्रूड
रूस और यूक्रेन के बीच तनाव जारी रहने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत सोमवार को 93 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई. साल 2014 के बाद यह पहला मौका है, जब क्रूड की कीमत इस स्तर पर पहुंची है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बना रहता है तो कच्चे तेल की कीमत 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है.
चुनावों के बाद कहां पहुंचेगी कीमत
चुनावों के बाद घरेलू तेल कंपनियों पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी कर सकती हैं ताकि अभी हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सके. दिल्ली में अभी पेट्रोल की कीमत 95.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 86.67 रुपये लीटर है. अगर तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुताबिक दाम बढ़ाती हैं तो दिल्ली में पेट्रोल की कीमत करीब 105 रुपये और डीजल की 96 रुपये पहुंच सकती है.
बेकाबू हो सकती है महंगाई
अगर ऐसा हुआ तो इसका महंगाई पर व्यापक असर होगा. उपभोक्ताओं के लिए कीमतों में एक साथ भारी बढ़ोतरी के बजाय रोज-रोज होने वाले मामूली बदलाव को झेलना आसान है. एक साथ कीमतों में भारी तेजी से ट्रांसपोर्ट कॉस्ट बढ़ जाती है और इससे बाकी चीजें भी महंगी हो जाती हैं. इससे महंगाई बेकाबू हो सकती है. इससे ब्याज दरें और आर्थिक सुधार पर भी असर पड़ेगा.