मालीपुर में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जेदार बने राजस्व कर्मियों के लिए दुधारू गाय
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मालीपुर में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जेदार बने राजस्व कर्मियों के लिए दुधारू गाय
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दर्जनों बीघा प्रतिबंधित जमीनों पर निर्माण कराकर किराये की वसूली कर रहे हैं भूमाफिया
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स्थानीय लोगों की शिकायतों की जांच के आदेश पर सौदेबाजी करते आ रहे हैं हल्का लेखपाल
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शासन के फरमान को चुनौती देने में जुटे हैं अवैध कब्जेदार व राजस्व विभाग के कर्मचारी
(एम.एल.शुक्ल )
अम्बेडकरनगर। एक तरफ जहां सूबे के मुख्यमंत्री द्वारा सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा हटवाने के लिए अभियान चलाने का आदेश निर्गत किया गया है वहीं मालीपुर के भूमाफिया राजस्व कर्मियों के मिली भगत से चुनौती दे रहे हैं। दर्जनों बीघा जमीनों का अस्तित्व समाप्त हो चुका है जिस पर आलीशान मकान बनकर किराया वसूला जा रहा है और जो अवशेष है वह उनकी नजर में है।
ज्ञात हो कि पर्यावरण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगभग दो दशक पहले राजस्व अभिलेख में दर्ज तालाब,कूआं,पोखरा,झील,नदी,कुण्ड,घूर गड्ढा के अलावा अन्य जमीने जैसे नवीन परती आदि पर हुए अतिक्रमण को खाली कराने के लिए राजस्व महकमा को आदेश जारी किया गया था किन्तु तत्कालीन दलों की सरकारों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसके चलते भूमाफियाओं का हौंसला बढ़ता रहा। इस तरह की जमीनों पर उनका कब्जा होता रहा। उक्त आदेश को सूबे में भाजपा की सरकार आने के पश्चात इसे प्रमुखता से लिया गया और मुख्यमंत्री द्वारा तत्काल जिला अधिकारियों को फरमान जारी किया गया। इस आदेश के क्रम में जिले में भी भूमाफियाओं द्वारा सरकारी जमीनों पर किये अवैध कब्जे पर बुल्डोजर चला किन्तु अवैध कब्जों के सापेक्ष भूमाफियाओं पर कार्यवाही नहीं हो सकी है। नजीर के तौर पर देखा जाये तो जलालपुर तहसील अन्तर्गत मालीपुर ग्राम पंचायत व बाजार काफी है। यहां जिधर देखिए वहीं प्रतिबंधित जमीनों पर भूमाफियाओं ने कब्जा करके उस पर अवैध निर्माण करवा लिया है और उन पर बने भवनों से किराये की वसूली की जा रही है। रेलवे स्टेशन के निकट राम जानकी मंदिर के बगल स्थित 5 बीघा से अधिक का तालाब पूरी तरह से अतिक्रमण की चपेट में है। इस तालाब की जमीन में जिन लोगों ने मकान का निर्माण करवाया है उसमें ज्यादातर इस जिले के रहने वाले भी नहीं है। इसके अलावा बैंक ऑफ बड़ौदा से लेकर प्राथमिक विद्यालय तक सड़क की दोनों पटरियों पर कुछ गाटों को छोड़कर अधिकांश सरकारी जमीन है जिसे भूमाफियाओं ने कब्जा कर लिया है। इस ग्राम पंचायत में और भी तमाम प्रतिबंधित जमीने है जिसका रकबा 30 से 10 बीघा बताया जा रहा है। उनके अस्तित्व खतरे में है अर्थात उन पर भूमाफिया गिद्ध दृष्टि लगाये उसे कब्जा करने की जुगत में लगे हैं। भूमाफियाओं के बढ़ते मनोबल के पीछे अब तक के तैनात लेखपालों की भूमिका अहम बताई जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है ऐसी जमीनों पर अवैध कब्जे को लेकर शिकायतें निरन्तर एसडीएम, डीएम, कमिश्नर समेत शासन को की जा रही है। जांच के लिए आदेश भी कई बार हुए है किन्तु इन्हीं लेखपालों को जिम्मेदारी सौंपे जाने से नतीजा सिफर ही रह जा रहा है। कारण लेखपालों द्वारा भूमाफियाओं (अवैध कब्जेदारों) से सौदेबाजी कर लीपा-पोती होती आ रही है जिसके चलते सरकारी जमीनों से अवैध कब्जा हटने के बजाय जो ग्राम पंचायत में अवशेष है उस पर भी निर्माण हो रहा है।