मुहर्रम का महीना देता है जुल्म के आगे न झुकने की शिक्षा फिरोज खा
मुहर्रम का महीना देता है जुल्म के आगे न झुकने की शिक्षा फिरोज खा
इमाम हुसैन ने कर्बला में लड़ी थी आतंकवाद के खिलाफ दुनिया की पहली जंग
पूरनपुर,पीलीभीत।इस्लामी महीने 61 हिजरी में यजीद ने इमाम हुसैन को कत्ल करने के लिए इराक के शहर कर्बला में एक लाख लोगों का लश्कर भेजा । हुसैन इब्ने अली यजीद से जंग करने के इरादे से नहीं निकले थे। वह परिवार की औरतों बच्चों व अन्य लोगों के साथ सफर पर थे । यजीद चाहता था कि हुसैन जुल्म को, हलाल को हराम करने मे उनका साथ दें। लेकिन उन्होंने मना कर दिया दो मोहर्रम को इमामे हुसैन जब कर्बला पहुंचे तो वहां उनको यजीद के लश्कर ने घेर लिया। यजीद के सेनापति उमर इब्मे साद ने इमाम हुसैन से कहा कि अगर वह यजीद की बात नहीं मानेंगे तो उनके बच्चों दोस्तों रिश्तेदारों सबको कत्ल कर दिया जाएगा।इमामे हुसैन ने रसूल इस्लाम को बचाने के लिए यजीद की बात नहीं मानी। सात मोहर्रम को इमाम हुसैन पर पानी बंद कर दिया गया बच्चे और औरतें 3 दिन तक गर्मी व प्यास से तड़पते रहे। इसमें इमामे हुसैन का 6 महीने का मासूम बच्चा अली असगर भी शामिल था। 10 मोहर्रम को इमामे हुसैन ने अपने 72 साथियों को हक पर कुर्बान कर दिया। लेकिन जुल्म के आगे नहीं इमामे हुसैन ने 1 दिन में 72 लाशे उठाई। इसी की याद में पूरी दुनिया में मोहर्रम मनाया जाता है।गहलूईया शरीफ के फिरोज खा ने बताया कि इमाम हुसैन ने कर्बला में लड़ी थी आतंकवाद के खिलाफ दुनिया की पहली जंग।उन्होंने कहा कि शहीदों की याद में गरीबों की मदद करें। उन्होंने कहा इस महीने में कर्बला के शहीदों को खिराज ए अकीदत पेश करने के लिए अधिक से अधिक भलाई का काम करें। भूखों को खाना प्यासे को पानी बीमारों को दवाई मुहैया कराएं।