छोटी-सी उम्र में ही दारुबाज बनी लड़की, 16वीं बार अस्पताल में ठिकाने लगे होश!
टीन एज, यही वो फेज होता है जब लड़के-लड़कियों में सबसे तेज़ी से बदलाव महसूस किया जाता है, शारीरिक और मानसिक तौर पर सबसे चंचल उम्र मानी जाती है ये. ऐसे वक्त में अगर माहौल और साथ अच्छा मिले तो बच्चा संवर जाता है. मगर साथ बुरे का मिल जाए तो बर्बाद होने में भी वक्त नहीं लगता. बस निर्भर इस बात पर करता है की इस उम्र के लड़के-लड़कियां क्या चुनना पसंद करते हैं.
ये कहानी है 16 साल की उस लड़की कि जिसने सबसे संवेदनशील उम्र में खुद को ऐसी जगह झोंक दिया जहां से बचकर निकलने में उसे कई साल का वक्त लग गया. फ़ार्गो, नॉर्थ डकोटा (Fargo, North Dakota) की रहने वाली औद्रा हैनसन (Audra Hanson) आज 25 साल की हैं.
बहुत समझदार, सुलझी हुई, और सोशल साइट के ज़रिए लोगों को प्रेरणा (Inspiring people on social sites) देने वाली औद्रा की ज़िंदगी हमेशा से ऐसी नहीं थी. एक वक्त था जब वो स्कूल जाने की उम्र में स्कूल से ज्यादा अस्पताल के चक्कर लगाने को मजबूर हो गईं.
नशे की लत ने उन्हें ऐसा जकड़ लिया था कि 16 की उम्र में 15 बार अस्पताल पहुंचने के बाद भी उन्हें अपनी गलती का एहसास होने में कई साल लग गए (Alcohole put her in hospital 15 times until I realised my problem)
नशे ने बर्बाद कर दिया ‘एज का बेस्ट फेज’
उम्र के सबसे खूबसूरत पड़ाव को औद्रा ने नशे के चक्कर में बर्बाद (ruined in a drunken affair) कर दिया. हालत ये थी कि वो स्कूल गर्ल से पार्टी गर्ल बन गई थी. वो ऐसी पार्टियों में जाती थी जहां भीड़ शराब पीने के लिए उकसाती थी. फिर एक बार जो हाथ में नशे का ग्लास थामा तो फिर लत सिर चढ़ गई.
फिर उनकी इमेज ही ऐसी बन गई उन्हें देखते ही लोग शराब ऑफर करने लगते थे. धीरे-धीरे नशा उनपर इस कदर हावी होने लगा कि उन्हें पार्टी की चकाचौंध, तेज़ म्यूज़िक, नाचने-गाने के अलावा कुछ और रास ही नहीं आता था. लेट नाइट एल्कोहल पार्टी के चक्कर में वो अपने स्कूल से भी नदारद रहने लगी.
कई बार नशे और हैंग ओवर की हालत में स्कूल पहुंच गई. हालत ऐसी हो गई कि वो अंदर ही अंदर खोखली होती चली गई. और फिर शुरु हुआ अस्पताल के चक्करों का सिलसिला.
जानलेवा बन गई नशे की आदत
नशे की आदत औद्रा के लिए अब जानलेवा साबित होने लगी थी. दोस्त, परिवार, रिश्तेदार सबने उसे समझाने की बहुत कोशिश की. मगर वो चाह कर भी खुद को नशे के जाल से बाहर नहीं निकाल पा रही थी. उसके सभी करीबी अब उससे दूर होते जा रहे थे. एक-एक कर वो करीब 15 बार अस्पताल पहुंच गई.
हर बार डॉक्टरों का कहना था कि नशा उसकी जान का दुश्मन बनता जा रहा है. बात की गंभीरता तब समझ में आई जब डॉक्टर ने कहा कि एक घूंट भी हलक के नीचे पहुंचाना जानलेवा साबित होगा. 22 साल की उम्र में उन्हें गले में दिक्कत शुरु हुई और ये एहसास हुआ कि अब एल्कोहल उन्हें मार डालेगा.
तब एक व्यसन उपचार केंद्र हेज़ेल्डन के संपर्क में आई और एक आउट पेशेंट उपचार (Addiction treatment center Hazelden and an outpatient treatment) में नामांकित हुई. औद्रा अब पूरी तरह नशे की गिरफ्त से उबर चुकी हैं. और अब वो टिकटॉक (Tiktok) के ज़रिए लोगों को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करती हैं.