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वन अफसरों की लापरवाही से 18 दिन के अंदर दूसरे तेंदुए की मौत, बाचर के खेत में मिला शव

 

 

 

 

गजरौला, पीलीभीतजंगल से कुछ दूरी पर बाचर के खेत में तेंदुए का सब देखे जाने से खलबली मच गई सूचना मिलने के बाद सीटीआर और सामाजिक वानिकी अफसर और कर्मचारी मौके पर पहुंच गए।  घटना को लेकर कई गांव के लोग भी आ गए। तेंदुए के शव को कब्जे में लेकर बरेली आईवीआरआई पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। तेंदुए की मौत को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं।केंद्र सरकार की आपत्ति के बाद योगी सरकार ने हाल ही में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक सुनील चौधरी को हटा दिया था। इसके बावजूद पीलीभीत के वन अफसरों इससे सबक नहीं ले रहे हैं। लगातार लापरवाही से वन्यजीव और इंसानों की जाने जा रही हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व की माला रेंज के नजदीक खेतों में 18 दिन के अंदर तेंदुए की मौत से कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांव बैजू नगर निवासी उमाशंकर पुत्र राम दुलारे वाचर हैं। पीलीभीत टाइगर रिजर्व की माला रेंज से सटा हुआ उनका खेत भी है।सवह माला रेंज की गढ़ा बीट कंपार्टमेंट 135 A के पास जंगल से 16 मीटर दूर बाचर के खेत में तेंदुए का शव देखा गया। सूचना के बाद सामाजिक डीएफओ संजीव कुमार, पीटीआर के एसडीओ दिलीप तिवारी, पूरनपुर रेंजर कपिल कुमार, माला रेंज रेंजर मोहम्मद नदीम, गड़ा बीट वन दरोगा राम भरत यादव सहित गजरौला पुलिस मौके पर पहुंची। वन कर्मियों ने मौके पर पहुंच कर जांच पड़ताल की है। करीब 10.30 तेंदुए के शव को पोस्टमार्टम के लिए बरेली आरबीआई के लिए भेजा। आबादी क्षेत्र में घूमते हुए तेंदुए के पग चिन्ह पाए गए हैं। करीब 1 वर्ष का तेंदुआ नर बताया जा रहा है। 18 दिन पहले महुआ गांव के हरद्वारी लाल के खेत में तेंदुए का शव मिला था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भूख और प्यास के कारण एक तेंदुए की मौत हो गई थी।
टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाली नदियों और तालाबों पर भू माफियाओं के कब्जे होने से नदियां सूख रही हैं। और बेमौत जानवर मर रहे हैं। बताया जा रहा है तेंदुआ लालपुर के आबादी क्षेत्र के कई खेतों में पद चिन्ह मिलने हैं। सुबह तेंदुआ पानी की तलाश में जंगल की तरफ दौड़ा जंगल के नजदीक पहुंचते ही तेंदुए ने दम तोड़ दिया। जंगल के पास तार फेंसिंग होने के कारण तेंदुआ अंदर नहीं जा सका, जंगल के नजदीक तेंदुए की मौत हो गई।


 

जंगल, नदी और तालाबों की जमीन पर हो रहा कब्जा

वन्यजीव प्रेमियों का आरोप है सुविधा शुल्क बसूलकर जंगल, नदी तालाबों की जमीन पर भू माफियाओं से कब्जा कराया जा रहा हैं। टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाली जंगल के चारों तरफ इर्दगिर्द माला और कटना नदी पर लगातार भूमाफिया कब्जा कर रहा है। इसकी शिकायत पर केवल खानापूर्ति कर कुछ हिस्से को ही मुक्त किया गया था। आज नतीजा यह है कि नदी लगातार सूखी हुई है जिस कारण बेमौत वन्य जीव मौत के घाट उतार रहे हैं।

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