NR लखनऊ मंडल में नायाब तरीका विकसित , रेलवे देती है संविदाकर्मियों को पूरा वेतन , फिर आधा पैसा होता है वापस
लखनऊ / उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में अधिकारियों एवं ठेकेदारों का काकस संगठन तो काफी दिनों से सक्रिय है लेकिन अब यूनियनों के तथाकथित नेता भी अपनी अहम भूमिका निभाने में सक्रिय हो गये हैं रेलवे बोर्ड से लेकर रेलमंत्रालय एवं महाप्रबंधक तक के कानून इन भ्रष्टाचारियों के आगे धूल चाट रहे हैं और अब मीडिया के कुछ तथाकथित पत्रकार भी जीहुजूरी करने में लग गये हैं, ये तथा कथित पत्रकार चारबाग से लेकर मंडल आफिस तक के अधिकारियों के आफिस के इर्दगिर्द मडराते रहते हैं और चाय नाश्ता करके इतिश्री कर लेते
हैं।
प्राप्त विवरण के अनुसार एक अधिकारी जो नाम न छापने की शर्त पर बताता है कि उत्तर रेलवे लखनऊ मंडल में भ्रष्टाचार को बढावा देने में कहीं न कहीं गोदीमीडिया और इनके पत्रकार भी अपनी दलाली में व्यस्त हैं।
अब लखनऊ मंडल के चारबाग रेलवे स्टेशन का ठेकेदार जो किंग कंपनी का है एक और नियम निकाल दिया है जो सत्ता पक्ष का काफी नजदीकी बताया जाता है इसका खुलासा गत पिछले हफ्ते एक न्यूज पोर्टल चैनल से खुलासा हुआ उक्त वीडीओ चैनल में खुलेआम कुछ संविदा कर्मियों का बयान दर्शाया गया है.
कि ये कंपनी का ठेकेदार रेलवे से लेता है 18000/ न्यूनतम और संविदाकर्मियों के खाते में डाल देता फिर यहीं से खेल शुरू हो जाता है ये ठेकेदार इतना दबंग एवं मनबढ है कि सभी कर्मियों का पासबुक एवं एटीएम अपने पास ले रखा है और उस एटीएम से पैसा निकालकर पूरी धनराशि लेलेता है और खुलेआम धमकी देता है कि अगर किसी ने विरोध किया तो उसको बाहर निकाल देंगे और धमकाता भी है.
मंडल रेल प्रबंधक से लेकर शाखा के अधिकारी कान में तेल डाले हुए हैं गजब के हैं रेलमंत्री जी एवं इनके अधिकारी बङे बङे डायलाग ( फिल्म हीरो राजकुमार) की तरह गोदी चैनलों पर बोलते हैं और इनके अधिकारी लखनऊ मंडल में दोंनों हाथों से लडडू खाने में मस्त हैं और इसी के साथ साथ यूनियन के नेता भी पैसा कमाने में पीछे नहीं हैं।
मिली जानकारी के अनुसार किस कदर अधिकारी और ठेकेदार का गंठजोङ सक्रिय है ये अधिकारी के देखरेख में ठेकेदार द्बारा संविदा कर्मियों को 7500/-से 8000/- ही भुगतान किया जाता है और इसमें एक तथाकथित नेताजी भी शामिल बताये जाते हैं और ये नेता भी लखनऊ में दो मकान करोङों का बना रखा है लेकिन रेल मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय भी इन के खिलाफ जांच कराने के लिए टालमटोल करता है.
इनकी अकूत संपत्ति की जांच के लिए , साथ ही साथ इन नेताओं के लखनऊ में फार्महाऊस, और मकान होटल तक चल रहे हैं और इनके बच्चे मंहगे स्कूल में पढ रहे हैं जब ये अवैध संपत्ति मंडल स्तर पर है और महामंत्री स्तर की संपत्ति की बराबरी करने में कोई कोर कसर नहीं छोङ रखा ।
आगे बताते चलें कि उ.रे के महामंत्री खुद कहते हैं कि मेरे पास 65 करोङ रुपये का फंड है और उसको कोई खर्च करने वाला नहीं है अब आप खुद समझ सकते हैं कि इतना पैसा कहां से आया हुआ है और इसी के चक्कर में एक नेताजी का पारिवारिक कलह भी उभरकर सामने आ चुका है और सबसे खास दलाल एवं सीपीआई राजेश महाजन बताया जाता है जो गिद्धों की तरह पूरे मंडल में नजर लगाये रहता है भर्ती हो या मृतक आश्रित कोटा हो या विभागीय परीक्षा हो सब में ये रिश्वत की रकम तय करता है ।
सूत्रों के अनुसार आलमबाग डीजलशेड में एक महिला रेलकर्मी को यूनियन के नेता से लेकर अधिकारी तक उत्पीङित किया और इसकी जांच प्रभावित करने के लिए मंडल का एक वरिष्ठ अधिकारी ने विशाखा की शाखा को ही समाप्त कर दिया और यही यूनियन का एक पदाधिकारी ने एक कर्मचारी को इतना प्रताङित किया कि उक्त रेलकर्मी ने आत्महत्या कर ली.
मामला यूनियन के नेताओं ने दबवा दिया इन भ्रष्टाचारी नेताओं और अधिकारियों का फेरिश्ता काफी लंबा है जो महिला रेलकर्मी अथवा पुरुष इनके मनमाफिक कार्य नहीं करता तो उनका तबादला करवा दिया जाता है और जो यूनियनों के नेताओं को खुश करता है तो वह मनमाफिक सीटों पर बिना डियूटी किये ही वेतन आहरण करता रहता है। एक महिला प्रकरण में आलमबाग डीजलशेड में गवाही करने वाले को ही बलि का बकरा बना दिया गया और उसका तबादला बाहर कर दिया गया ।
ये तो एक बारगी भ्रष्टाचार का छोटा नमूना है। रेलमंत्री जी देखिए आप की रेलवे में क्या क्या गुल खिल रहा है। रेल अधिकारी ठेकेदार गंठजोङ