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Kanpur Yateemkhana Case: रुह कंपा देगी किशोरी से हैवानियत की कहानी, सगे भाई अश्लील वीडियो दिखा करते थे दरिंदगी

कानपुर,  Kanpur Yateemkhana Case: पांच साल पहले बांदा की नाबालिग किशेरी को गोद लिये जाने के बाद जिस परिवार ने पनाह दी उन्हीं के बेटों ने उसकी अस्मत लूट ली। बजरिया थाना पुलिस ने आरोपित भाइयों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है लेकिन पीड़िता ने तहरीर में पांच साल तक खुद पर हुई हैवानियत की रुह कंपा देने वाली कहानी बयां की है।

क्या है मामला

मूलरूप से बांदा के रहने वाले पिता ने मां के निधन के बाद बेटी को अनाथालय में छोड़ दिया था। करीब पांच साल पहले कानपुर बजरिया में रहने वाले दंपती उसे गोद लेकर घर ले आए थे। बाद में उसे यतीमखाने में छोड़ दिया था, जहां पर आए पिता से न मिल पाने से क्षुब्ध किशोरी ने हाथ की नस काट ली थी। उर्सला में भर्ती पुलिस ने जब बयान लिये तो उसकी दर्दनाक कहानी सुनकर पैरों तले जमीन खिसक गई। उसकी तहरीर पर पुलिस ने दुष्कर्म, पाक्सो, छेड़छाड़ धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करके गोद लेने वाले परिवार के सगे भाइयों को गिरफ्तार करके जेल भेजा है।

तहरीर में दर्ज है दर्द की इंतहा
मैं प्रार्थिनी …

जनपद फतेहपुर की रहने वाली हूं। मेरी माता का इंतकाल बचपन में ही हो गया था। हम चार बहने थे। मेरे पिताजी लखनऊ में काम करते थे। मेरी छोटी बहन को बचपन में पिताजी ने अपने जानने वाले को गोद दे दिया था। परवरिश सही ढंग से नहीं होने के कारण नाना नानी ने बांदा में डा. जारिना द्वारा चलाए जा रहे यतीमखानों में हम तीनों बहनों का दाखिला करा दिया था।

करीब दो वर्ष वहां रहने के उपरान्त वर्ष 2015 में डा. जारिना ने अपनी भाभी शाहजहां बेगम पत्नी महबूब अली खां निवासी नाला रोड़, गुलाब घोसी मस्जिद को मुझे सिपुर्द कर दिया। उस समय मेरी उम्र 6-7 वर्ष थी। इन लोगों ने मेरा दाखिला जामिया-तुत-तैय्यबत अरेबिक कलेज, दलेलपुरवा में करा दिया।

करीब दो वर्ष बाद मेरे पिताजी नासिर मुझे लेने आए थे। महबूब की पत्नी शाहजहां बेगम ने मुझे धमकाया था कि तुम्हारे पापा तुमको कही बेच देंगे। इसलिए मैनें अपने पिता के साथ जाने से मना कर दिया।

उसी दौरान महबूब अली खां के छोटे बेटे दाऊद मुझे अपने कमरे में किसी न किसी बहाने से बुलाते थे और अश्लील हरकतें व अश्लील वीडियों दिखाते थे। उसके कुछ समय बाद मुझे अकेला पाकर जब कोई घर पर नही रहता था मुझसे जबरदस्ती शारीरिक सम्बन्ध बनाते थे।

करीब एक से डेढ़ वर्ष तक बनाता रहा तथा प्रेग्नेन्सी टेस्ट व दवाइयां भी खिलाता था। उसके कुछ समय बाद एक महीने तक उसके बड़े भाई साऊद ने भी मेरे साथ जबरदस्ती संबंध बनाए। जब मुझसे नहीं रहा गया तब सारी बात अपनी स्कूल टीचर … से बताया। उन्होंने सारी बात महबूब को बतायी तो महबूब ने यतीमखाना, कर्नलगंज में 2019 में दाखिल करा दिया।

दाखिला कराने से पहले ही यह समझाया की यदि कोई वहां पूछता है तो बताना की मेरे पिताजी नहीं है। जुलाई के आखिरी हफ्ते में मेरे पिताजी मुझसे मिलने यहां आए और वार्डन से मिले। वार्डन ने कहा कि मेरे कोई पिता नहीं है और इस बात पर शाहजहां बेगम को फोन कराकर पूछा क्योंकि मेरा दाखिला यहाँ पर उन्होंने ही कराया था।

इसका पता चलने पर शाहजहां वेगम 27 फरवरी को एक अन्य महिला के साथ यतीमरवाना में आकर लिखित रूप में दिया कि इनके पिता का इंतकाल हो चुका है और मना कर दिया कि कोई पूछे तो किसी के साथ भेजना नहीं। इस घटना के बारे में शाहजहां बेगम को पहले से ही पता था। अपने बच्चों को बचाने के लिए जानबूझकर यह बात छिपायी।

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