Gorakhpur

कफ सीरप के नाम पर गोरखपुर से नेपाल, बंगाल और बांग्लादेश तक भेजी जा रही हैं नशीली दवाएं

गोरखपुर,  नशीली दवा बेचने वाले भालोटिया मार्केट के सगे भाइयों का बंगाल के वीरभूमि में भी गोदाम है। व्यापारी भाइयों की लगातार बढ़ रही कमाई को देखते हुए कई लोग उनके साथ व्यापार करते हैं। महराजगंज के एक कारोबारी भी इसी सिंडिकेट का हिस्सा हैं। महराजगंज और ट्रांसपोर्टनगर के एक कारोबारी ने कुछ ही वर्षों में नशीली दवाएं बेचकर अकूत संपत्ति बनायी है। औषधि प्रशासन विभाग से जुड़े कुछ लोगों से महराजगंज और गोरखपुर के सगे भाई लगातार संपर्क में रहकर नशीली दवाओं का धंधा करते रहे। यही वजह है कि सब कुछ जानने के बाद भी दोनों भाइयों पर कार्रवाई से सभी लोग कतराते रहे।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले सिंडिकेट से जुड़े होने की भी जांच कर रही पुलिस

खांसी और नशीली दवाओं का दो करोड़ रुपये से ज्यादा काम माल पकड़ने के बाद भी औषधि प्रशासन विभाग एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। विभाग ने एफआइआर दर्ज कराने के बाद पूरा मामला पुलिस पर छोड़ दिया है। विभाग सगे भाइयों की दुकान से बेची गई दवाओं का भी रिकार्ड नहीं निकाल पा रहा है।

नशीली दवा पकड़ी गई तब भी खोले रखे दुकान

सगे भाइयों को नशीली दवा जब्त होने की जानकारी होने के बाद भी वह आराम से व्यापार करते रहे। उन्हें एक अफसर पर पूरा भरोसा था। वजह यह कि अफसर से मिलीभगत होने के कारण वह नशीली दवाएं मंगाकर आराम से लाइसेंस सरेंडर कर देते थे। अफसर दूसरा लाइसेंस जारी कराने में उनकी पूरी मदद करते थे। इसके एवज में अफसर इन भाइयों को नशीली दवाएं बेचने की पूरी छूट देते थे।

उच्चाधिकारियों के दबाव में जब छापेमारी की कार्रवाई के बाद व्यापारी भाइयों को वाणिज्य कर विभाग की कार्रवाई की जानकारी दी गई तो उन्होंने सबसे पहले उसी अफसर से बात की। कार्रवाई की जानकारी लखनऊ तक पहुंच चुकी थी इसलिए अफसर ने अपनी नौकरी को ज्यादा महत्व दिया और भाइयों को भरोसा दिया कि कार्रवाई वाणिज्य कर की ही है। इसी भरोसे में उन्होंने 15 लाख रुपये भेज दिए। सगे भाइयों के पास अफसर से बातचीत और वाट्सएप चैटिंग का पूरा ब्योरा भी है।

जिनसे ज्यादा बात, उनका निकाला गया रिकार्ड

नशीली दवा के सिंडिकेट से जुड़े सगे भाइयों की जिनसे ज्यादा बात होती रही, उनका रिकार्ड पुलिस ने निकाल लिया है। शासन के अफसर भी पूरे मामले की मानिटरिंग कर रहे हैं। सभी का मानना है कि बिना औषधि विभाग की मिलीभगत इतना बड़ा धंधा हो ही नहीं सकता है। अफसर जिस तरह कार्रवाई से कन्नी काट रहे हैं उससे इस संभावना को बल भी मिल रहा है।

दुकान के सामने गोदाम, नहीं हुई जांच

जीएम काम्प्लेक्स में नशीली दवा बेचने वाले व्यापारी की दुकान के सामने गोदाम भी है। इस गोदाम में भी नशीली दवाओं का स्टाक रखा जाता था। इसके साथ ही शहर के कई स्थानों पर सगे भाइयों का माल रखा जाता था। नियमानुसार दवा व्यापारी को गोदाम का भी लाइसेंस लेना पड़ता है लेकिन अफसरों का वरदहस्त होने के कारण कोई कुछ बोल नहीं पाता था।

नारकोटिक्स कंट्रोल विभाग का मामला भी दबा

पिछले साल नारकोटिक्स कंट्रोल विभाग ने जीएम काम्प्लेक्स में आशीष मेडिकल एजेंसी में छापा मारा था। तब 25 हजार से ज्यादा फेंसेडिल सिरप का की बिक्री का कोई रिकार्ड नहीं मिला था। इसकी जानकारी औषधि प्रशासन विभाग को भी थी लेकिन जब भी अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। बाद में इसे पूरे मामले को दबा दिया गया।

जेनेरिक दवा के कारोबारी के पास भी बहुत दवाएं

भालोटिया मार्केट में जेनरिक दवा का बड़े पैमाने पर कारोबार करने वाले व्यापारी भी खांसी की सिरप और नशे की गोलियां बेचते हैं। इन दवाओं की खरीद बिना बिल पर होती है और बिक्री भी बिना बिल पर कर दी जाती है। अफसरों को इस व्यापारी के बारे में भी पूरी जानकारी है लेकिन जांच तक नहीं हो पा रही है।

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