Vice President Oath Ceremony: जगदीप धनखड़ ने ली उप राष्ट्रपति पद की शपथ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी हुए शामिल
लखनऊ, नवनिर्वाचित उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आज राष्ट्रपति भवन में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन में जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद की शपथ दिलायी। जगदीप धनखड़ देश के 14वें उपराष्ट्रपति बने हैं। इस कार्यक्रम में सीएम योगी आदित्यनाथ भी शामिल हुए।
जगदीप धनखड़ को मिले थे 528 वोट
उपराष्ट्रपति के चुनाव में कुल 725 वोट पड़े थे। इनमें से धनखड़ को 528 वोट मिले और विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को 182 वोट। 15 वोट अवैध पाए गए। इस तरह धनखड़ ने विपक्षी उम्मीदवार को 346 मतों से पराजित किया है, उन्हें 74.36 प्रतिशत वोट मिला।
नए उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बारे में जानें सबकुछ
जगदीप धनखड़ का राजस्थान के झुंझुनू के किठाना गांव में 15 मई, 1951 को जन्म हुआ था। वह एक किसान परिवार से आते हैं।
उन्होंने चित्तौड़गढ़ से अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, एलएलबी में महाराजा कॉलेज से भौतिकी में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और वकालत करने लगे।
धनखड़ ने 1979 में बार काउंसिल ऑफ राजस्थान में एक वकील के रूप में नामांकन किया था। धनखड़ सबसे कम उम्र (35 वर्ष) में राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी चुने गए थे।
जगदीप धनखड़ ने साल 1989 में जनता दल से जुड़े और राजनीति में प्रवेश किया। वह पहली बार झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र से भाजपा से सांसद निर्वाचित हुए और 1990 में वह वीपी सिंह सरकार में देश के संसदीय कार्य राज्यमंत्री बने। राजनीति में इस बेहतरीन शुरुआत के बाद अजमेर जिले की किशनगढ़ से वह विधायक निर्वाचित हुए।
उन्होंने तत्कालीन पीएम चंद्रशेखर के मंत्रिमंडल के तहत 1990-1991 तक संसदीय कार्य मंत्रालय के राज्य मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
जगदीप धनखड़ ने जुलाई 2019 से जुलाई 2022 तक पश्चिम बंगाल के 27वें राज्यपाल के रूप में कार्य किया है। राज्यपाल बनने से पहले वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य थे। यही नहीं धनखड़ राज्यपाल के रूप में शपथ लेने तक राज्य के वरिष्ठ अधिवक्ता भी थे।
बाद में उन्हें 1993 के राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान राजस्थान के किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा (एमएलए) के सदस्य के रूप में चुना गया।
4 लाख रुपये प्रति माह मिलता है वेतन
सबसे पहले आपको जानना चाहिए कि देश के राष्ट्रपति को “संसद अधिकारी का वेतन और भत्ता अधिनियम, 1953” के अनुसार भुगतान किया जाता है। उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभापति और अध्यक्ष के रूप में उन्हें दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है, इसलिए उन्हें राज्यसभा के स्पीकर का वेतन और भत्ता मिलता है। आंकड़ों के मुताबिक, उपराष्ट्रपति को तकरीबन 4 लाख रुपये प्रति माह वेतन और अन्य कई तरह के भत्ते भी दिए जाते हैं।
राजधानी दिल्ली में मिलेगा छह नंबर का बंगला
भारत के उपराष्ट्रपति का आधिकारिक घर उपराष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता है, जो देश की राजधानी नई दिल्ली में मौलाना आजाद रोड पर स्थित है। इस रोड पर स्थित 6 नंबर का बंगला मई 1962 से देश के उपराष्ट्रपति के आधिकारिक भवन के रूप में स्थापित है। उपराष्ट्रपति भवन का क्षेत्रफल 6.48 एकड़ (26,223.41 वर्ग मीटर) में है। इसकी चारदीवारी विज्ञान भवन के साथ साझा होती है। दक्षिणी दिशा से भवन मौलाना आजाद रोड, पूर्व दिशा से मानसिंह रोड, पश्चिम में राजपथ के बगल हरे मैदान से घिरा है।
उपराष्ट्रपति के लिए मुफ्त होती हैं ये सेवाएं
उपराष्ट्रपति को वेतन के अलावा अन्य कई दैनिक भत्ते भी दिए जाते हैं, जिनमें लैंडलाइन कनेक्शन, मोबाइल फोन सेवा, मुफ्त चिकित्सा और देख-रेख के अलावा मुफ्त रेल और हवाई यात्राएं भी मिलती हैं। उपराष्ट्रपति के लिए सरकारी और निजी दोनों तरह की सुरक्षा होती है। यदि राष्ट्रपति के अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति उनके कार्यभार संभालते हैं तो उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति को मिलने वाले भत्ते भी दिए जाते हैं। उपराष्ट्रपति के पास राष्ट्रपति के संसाधनों का भी अभिगम (Access) होता है।
पेशन सहित मिलते हैं कई तरह के लाभ
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल का होता है और आजीवन पुनर्नियुक्ति के पात्र हैं। उपराष्ट्रपति की अनुपस्थिति में राज्यसभा चलाने का प्रभारी उपसभापति होता है। भारत के उपराष्ट्रपति की मिलने वाली पेंशन उनके वार्षिक वेतन के आधे के बराबर होती है। कार्यकाल की समाप्ति के बाद पूर्व उपराष्ट्रपति को पेंशन के अलावा अन्य कई तरह के लाभ मिलते हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत का यह सबसे बड़ा अंतर था
वर्ष 1997 के बाद से उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत का यह सबसे बड़ा अंतर था। वर्तमान उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू का कार्यकाल 10 अगस्त तक है। उसके अगले दिन यानी कल 11 अगस्त को धनखड़ उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। वह देश के 14वें और राजस्थान से दूसरे उपराष्ट्रपति होंगे। राजस्थान से पहले उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत थे।