रक्षाबंधन 2022: इस दिन मनाया जाएगा रक्षाबंधन का त्योहार, जानिए इससे जुड़ी पांच पौराणिक कथाएं
RakshaBandhan 2022: सावन का महीना व्रत-उपवास व त्योहारों से भरा होता है और इस माह सबसे खास त्योहार रक्षाबंधन भी आने वाला है. जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार है. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और (Raksha Bandhan 2022 Date) उससे रक्षा का वचन लेती हैं. साथ ही भाई की लंबी उम्र की भी कामना करती हैं. यह दिन भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है.
अगर आप भी रक्षाबंधन का इंतजार कर रहे हैं तो (Raksha Bandhan 2022 Shubh Muhurat) बता दें कि इस साल यह त्योहार 11 अगस्त 2022, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा. आइए जानते हैं कि क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन?
रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ पौराणिक कथाएं
रक्षाबंधन का त्योहार हमारे देश में प्राचीन काल से मनाया जा रहा है और इसके पीछे कई महत्वपूर्ण कहानियां व कथाएं प्रचलित हैं. जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए. आइए जानते हैं रक्षाबंधन से जुड़ 5 पौराणिक कथाओं के बारे में पहली प्रचलित कथा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक बार राजा बलि ने अश्वमेघ यज्ञ कराया था, उस समय भगवान विष्णु ने बौने का रुप धारण किया और राजा बलि 3 पग भूमि दान में मांगी. राजा बलि इसके लिए तैयार हो गए और जैसे ही उन्होंने हां कहा, वामन रुपधारी भगवान विष्णु ने धरती और आकाश को अपने दो पगों से नाप दिया.
इसके बाद उनका विशाल रुप देखकर राजा बलि ने अपने सिर उनके चरणों में रख दिया. फिर भगवान से वरदान मांगा कि जब भी मैं भगवान को देखंू तो आप ही नजर आएं. हर पल सोते जागते उठते बैठते आपको देखना चाहता हूं. भगवान ने उन्हें वरदान दिया और उनके साथ रहने लगे.
जिसके बाद माता लक्ष्मी परेशान हो गईं और नारद मुनि को सारी बात बताई. नारद जी ने कहा कि आप राजा बलि को अपना भाई बनाकर भगवान विष्णु के बारे में पूछो. इसके बाद माता लक्ष्मी राजा बलि के पास रोते हुए पहुंची तो राजा ने पूछा कि आप क्यों रो रही हैं, मुझे बताइए मैं आपका भाई हूं. यह सुनकर माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी और भगवान विष्णु को मुक्त करने का वचन लिया. तभी से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है.
दूसरी प्रचलित कथा
कहा जाता है कि एक बार असुर और देवताओं के बीच युद्ध हुआ और इस युद्ध में असुर काफी हावी हो गए. जिसकी वजह इंद्र की पत्नी शचि को अपने पति और देवताओं की चिंता सताने लगी. फिर उन्होंने इंद्र के लिए एक शक्तिशाली सुरक्षात्मक धागा बनाया. कहा जाता है कि तभी से शुभ कार्य में जाने से पहले हाथ में मौली बांधने की परंपरा शुरू हुई. रक्षाबंधन के त्योहार की भी शुरुआत तभी से मानी जाती है.
तीसरी प्रचलित कथा
मान्यता है कि महाभारत के युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने 100 गाली देने पर राजा शिशुपाल का सुदर्शन चक्र से वध कर दिया था. जिसकी वजह से उनकी उंगली से खून बहने लगा और वहां मौजूद द्रौपदी ने अपने साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली में बांध दिया. जिसके बाद भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को हर संकट से बचाने का वचन दिया. तभी से रक्षाबंधन के दिन भाई की कलाई में राखी बांधी जाती है.
चौथी प्रचलित कथा
एक अन्य प्रचलित कथा के अनुसार महाभारत के युद्ध के दौरान जब युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि मैं सभी संकटों को किस प्रकार पार कर सकता हूं. तब श्रीकृष्ण ने उन्हें और उनकी सेना को राखी का त्योहार मनाने की सलाह दी थी.
पांचवी प्रचलित कथा
चित्तौड़ की रानी कर्णवती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के आक्रमण से अपने राज्य व अपनी रक्षा के लिए सम्राट हुमायुं को एक पत्र के साथ राखी भेजकर रक्षा का अनुरोध किया था. हुमायुं ने राखी को स्वीकार किया रानी कर्णवती की रक्षा के लिए चित्तौड़ रवाना हो गए. हालांकि, हुमायुं के पहुंचने से पहले ही रानी कर्णवती ने आत्महत्या कर ली थी.