NATO vs Putin: यूक्रेन जंग के बीच NATO के इस कदम से तीसरे विश्व युद्ध की आशंका हुई प्रबल? रूस को घेरने की तैयारी
नई दिल्ली । NATO vs Russian President Putin: यूक्रेन जंग के बीच नाटो (NATO) ने रूस को घेरने की योजना बनाई है। नाटो के तीन लाख सैनिक अब पूरी तरह से अलर्ट मोड में रहेंगे। नाटो के इस कदम से रूस और सदस्य देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच सकता है। शीत युद्ध के बाद नाटो और रूस के बीच ऐसे हालात उत्पन्न हो गए हैं, जिससे तीसरे विश्व युद्ध की आशंका प्रबल हो गई है। उधर, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नाटो की चुनौती को स्वीकार करके अपनी रणनीति को अंजाम देना शुरू कर दिया है। आइए जानते हैं कि नाटो की इस नई रणनीति का क्या होगा असर। आखिर नाटो की इस रणनीति से रूस में क्यों मची है खलबली। नाटो की इस चुनौती से निपटने के लिए रूस की क्या रणनीति है। इन सब मसलों पर विशेषज्ञों की क्या राय है।
1- विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि नाटो की सैन्य रणनीति से रूस का चिंतिंत होना लाजमी है। यूक्रेन जंग के दौरान नाटो (NATO) अपनी सैन्य रणनीति को धार देने में जुटा है। नाटो ने अपने तीन लाख सैनिकों को हाई अलर्ट पर करने का ऐलान किया है। यूक्रेन में रूस के भीषण हमलों से नाटो के अन्य सदस्य देशों में भी पुतिन के आक्रमण का डर सता रहा है।
नाटो ने यह घोषणा ऐसे वक्त की है, जब रूस के खिलाफ संगठन की बेहद अहम बैठक स्पेन में होने जा रही है। नाटो अब रूस से सटे बाल्टिक देशों में अपने रक्षा तंत्र को मजबूत करने जा रहा है। यूक्रेन जंग में रूस की आक्रमकता को देखते हुए नाटो का यह ऐलान रूसी राष्ट्रपति पुतिन को परेशान कर सकता है। नाटो के महासचिव जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने यह खुलासा किया है और कहा कि वे सैन्य गठबंधन के वर्तमान रेस्पांस फोर्स को मजबूत बनाएंगे।
2- नाटो (NATO) संगठन की इस तैयारी के बाद रूसी राष्ट्रपति ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दिया है। उन्होंने मित्र राष्ट्रों को एकत्र करना शुरू कर दिया है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन की ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान की यात्रा को अमेरिका और नाटो सदस्य देशों की इस रणनीति का जवाब माना जा रहा है। ताजिकिस्तान से रूस के सैन्य संबंध हैं। जंग छोड़कर रूसी राष्ट्रपति की ताजिकिस्तान की यात्रा काफी अहम मानी जा रही है। उधर, रूस यूक्रेन जंग को देखते हुए रूसी राष्ट्रपति के पास अब विकल्प भी सीमित है। वह यूक्रेन जंग में पीछे भी नहीं हट सकते। अब पुतिन आर-पार की लड़ाई के मूड में है। उन्होंने कहा कि नाटो और रूस की तैयारी से एक बड़ी जंग की आशंका प्रबल हो गई है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह तीसरे विश्व युद्ध की आहट हो सकती है।
3- उन्होंने कहा कि ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान का रूस के साथ मजबूत सैन्य संबंध हैं। इन देशों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी बहुत हद तक रूस पर ही निर्भर है। ताजिकिस्तान में रूसी सेना का विदेशी जमीन पर सबसे बड़ा सैन्य अड्डा है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी और पश्चिमी देशों के बढ़ते तनाव के बीच रूस अपने सामरिक संबंधों को मजबूत करने में जुटा है।
रूस ने अपने सैन्य अड्डे को मजबूत करने के लिए 17 इन्फ्रेंट्री फाइटिंग व्हीकल को ताजिकिस्तान में तैनात किया था। अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बाद ताजिकिस्तान काफी अहम हो गया है। अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बाद रूसी राष्ट्रपति की ताजिकिस्तान की यात्रा काफी अहम मानी जा रही है।
4- उन्होंने कहा कि रूस से निपटने के लिए अब फिनलैंड और स्वीडन को भी नाटो में शामिल होने की हरी झंडी मिल चुकी है। नाटो की स्पेन और फिनलैंड पर चर्चा काफी सकारात्मक रही है। नाटो के इस फैसले से यह तय हो गया है कि अब संगठन रूस को घेरने की तैयारी में है। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के नेतृत्व में नाटो देशों के नेता सैन्य संगठन रूस के खिलाफ अपने रवैये में पूरी तरह से बदलाव करने जा रहे हैं। शीत युद्ध के बाद पहली बार नाटो में इस तरह से खलबली मची है। इसके पूर्व वर्ष 2010 में नाटो ने अपनी अंतिम रणनीति बनाई थी और इसमें उसने रूस को रणनीतिक भागीदार बताया था। हालांकि, यह पहला मौका होगा जब रूसी राष्ट्रपति पुतिन के आक्रामक रवैये के कारण सामरिक रणनीति में बदलाव किया गया है।
नाटो शिखर सम्मेलन पर यूक्रेन जंग का मुद्दा हावी
यूक्रेन पर रूस के आक्रमण का मैड्रिड में आगामी नाटो शिखर सम्मेलन पर हावी होना निश्चित है, स्पेन और अन्य सदस्य राष्ट्र चुपचाप पश्चिमी गठबंधन को इस बात पर विचार करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ गठबंधन करने वाले भाड़े के लोग मास्को के प्रभाव को अफ्रीका में कैसे फैला रहे हैं। शिखर सम्मेलन के मेजबान के रूप में स्पेन अफ्रीका के साथ अपनी निकटता पर जोर देना चाहता है क्योंकि यह नाटो की सुरक्षा चुनौतियों और कार्यों के दृष्टिकोण को रेखांकित करने वाले एक नए दस्तावेज़ में यूरोप के दक्षिणी हिस्से पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की पैरवी करता है।
1949 की उत्तरी अटलांटिक संधि के बाद सामरिक अवधारणा नाटो का सबसे महत्वपूर्ण कामकाजी दस्तावेज है, जिसमें प्रमुख प्रावधान शामिल है कि एक सदस्य पर हमले को सभी पर हमले के रूप में देखा जाता है। पश्चिम के सुरक्षा एजेंडे को रीसेट करने के लिए सुरक्षा मूल्यांकन को लगभग हर दशक में अपडेट किया जाता है।